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वैष्णव के लिए विधि-निषेध

वेद का पालन करना- यह भक्तों के लिए कंपलसरी नहीं । ये सब दास हो जाते हैं फिर ये डरते हैं दूर से देवी देवता कोई भी हो । तो भक्त केवल राधा कृष्ण और गुरु तीन के बाहर नहीं जाता  ।और जितने बाहर वाले हैं - येनार्चितो हरिस्तेन तर्पितानि जगंत्यपि । रज्यंते जन्तवस्तत्र स्थावरा जंगमा आपि ।। ( पद्म पुराण) अनंत कोटी ब्रम्हांड की उपासना वो कर चुका जिसने राधा कृष्ण और गुरु की भक्ति कर ली । उसको और कहीं कुछ नहीं करना । अजी कोई देवता रुठ जाए ? अरे हिम्मत है किसी की,  कि रूठ जाए । हांँ । अरे अगर रूठ जाएगा तो दुर्वासा वाला हाल होगा,  भगवान का चक्र चल जाएगा उसके पीछे । और फिर कोई क्यों रूठेगा ? किसी की कोई हानि कर रहा है वो?  संसार में भी कोई क्रोध करता है तो किसी की हानि करता है कोई,  तभी तो उस पर क्रोध करता है । इसलिए भक्त को और कुछ नहीं सोचना है । उसकी विधि राधा कृष्ण और गुरु का स्मरण उसका निषेध - इनको भूले ना एक क्षण को भी । एक क्षण को भी भूल गया । हाँ निषेध का पालन नहीं किया तुमने । विधि का पालन नहीं किया तुमने । एक क्षण को भुला दिया श्यामसुंदर को । नं चलति भगवत्...