सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मानसिक लीला सखियो के चित्र

मानसिक लीला सखियो के चित्र सखियों के चित्र राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... निकुञ्ज का एकान्त कक्ष। श्रीप्रियाजी मखमली सिंहासन पर अकेली बैठी हैं। उन्होंने धीरे से पुकारा- चित्रा! अपना नाम सुनते ही श्रीचित्रा उपस्थित हो गयी। नयनों की भाषा में चित्रा पूछ रही थी कि क्या आदेश है?  श्रीचित्रा पर दृष्टि जमाये श्रीप्रियाजी ने कहा- क्या तुम मेरा एक काम कर दोगी? श्रीचित्रा ने विनम्र स्वर में कहा- मैंने कब किसी कार्य के लिये ना कहा है? श्रीप्रियाजी- यह तो मैं जानती हूँ, पर आज जो कहूँगी, उसके लिये तुम आनाकानी तो नहीं करोगी? श्रीचित्रा- तुम कहो तो सही। मैं न ना कहूँगी और न आनाकानी करूँगी। श्रीचित्रा का कथन आदेश पालन की भावना से भरपूर था।श्रीप्रियाजी- मैं जो कहूँगी, उसके बीच में कोई प्रश्न मत करना और न इसकी चर्चा कहीं अन्यत्र करना। मैं जो कहूँ, वैसा कर देना। श्रीप्रियाजी ने जो कहा, उनके शब्द-शब्द से अपार प्यार झर रहा था। श्रीचित्रा की चित्तवृत्ति अत्युत्सुक थी कि श्रीप्रियाजी आज क्या अनोखी बात कहने वाली हैं।  सुनने के लिये अति तत्परा चित्तवाली श्रीचित्रा स...