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हमारे श्री कृपालुजी महाराज

एक व्यक्ति हैं उनकी रामचरितमानस व गोस्वामी तुलसीदास जी में अटूट श्रद्धा है। सन् 65 की बात है। ये सज्जन मेरठ उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारी (इंजीनियर) के रूप में नियुक्त थे। उन्हीं दिनों श्री महाराज जी मेरठ में प्रवचन दे रहे थे। संयोग से इन्हें भी सुनने का अवसर मिला। इन्होंने देखा, उनकी बातें वेद पुराण आप्त ग्रन्थ सम्मत हैं, श्री महाराज जी रामायण से भी अनेक उदाहरण देते हैं। इन्होंने देखा, रामायण की चौपाई बोलते समय श्री महाराज जी का रूप परिवर्तित हो गोस्वामी तुलसीदास का हो जाता था। तुलसीदास जी की, फोटो आदि देखकर, जो छवि इनके मन में थी, उसी रूप में श्री महाराज जी को इन्होंने साक्षात् देखा। प्रत्येक बार, जब जब श्री महाराज जी रामायण की चौपाई बोलें वैसा ही हुआ। ये बार बार, आँख मल मल कर आश्चर्य चकित आनन्दित हो देखते रहे। श्री महाराज जी को इन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी का अवतार समझ लिया। इनकी इच्छा हुई कि श्री महाराज जी को अपने घर भोजन के लिए बुलायें। लोगों से जिज्ञासा की तो पता चला कि श्री महाराज जी जगद्गुरु हैं उनकी विशेष भेंट होती है। इन्होंने उन सज्जन से आग्रह किया कि मैं दुगुनी चौगुनी ...

- हमारे श्री कृपालुजी महाराज -

बात वर्ष 1950 के आस पास की है। श्री महाराज जी राजकोट (गुजरात) गये थे। वहाँ पर श्री महाराज जी तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री यादव जी मोदी के घर ठहरे हुए थे। उन दिनों इंग्लैंड के डाक्टरों की एक टीम वहाँ आयी हुई थी। उन्होंने किसी दिन श्री महाराज जी का प्रातःकाल से लेकर रात्रि शयन तक के बीच के सारे कार्यक्रम को देखा और श्री यादव जी मोदी से कहा। ये महात्मा अपना एनर्जी का अत्यधिक व्यय क्यों करते हैं। यदि महात्मा जी इसी प्रकार अपने जीवन की एनर्जी खर्च करते रहे तो उनका जीवन थोड़ा हो जायेगा। श्री मोदी जी ने प्रेम वश श्री महाराज जी से इतना अधिक परिश्रम न करने को कहा, साथ ही यह भी बता दिया कि इस बारे में डाक्टरो की क्या राय है। सारी बात सुनकर महाराज जी ने अगले दिन उन डॉक्टरों को बुलाकर पूछा, कि क्या उनके पास एनर्जी नापने की मशीन है। उनके हाँ में उत्तर देने पर श्री महाराज जी ने वह मशीन मँगवाई और उन लोगों से कहा, आप लोग जब चाहे मेरी एनर्जी नाप लें। उसके बाद मैं लगातार 8, 10 घण्टे तक अपना श्रम करूँगा। बाद में आप मेरी एनर्जी पुनः माप लेना, अगर हमारी एनर्जी कम हो जायेगी तो हम कीर्तन भजन करना बन्द कर द...