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बहुत से भक्तों को महाराजजी के पिछले परिवार के सदस्यों के बारे में पता नहीं है। जैसा कि वह हमारे गुरु हैं, उनके परिवार के बारे में जानना बहुत फायदेमंद है। यह उनका संक्षिप्त परिचय है।

बहुत से भक्तों को महाराजजी के पिछले परिवार के सदस्यों के बारे में पता नहीं है। जैसा कि वह हमारे गुरु हैं, उनके परिवार के बारे में जानना बहुत फायदेमंद है। यह उनका संक्षिप्त परिचय है। महाराजजी के पिता का नाम श्री लालता प्रसाद त्रिपाठी और माता का नाम श्रीमति भगवती देवी था (हम उन्हें आजी कहते हैं)। ललता प्रसाद जी इलाके के सबसे सम्मानित ब्राह्मणों में से एक थे। आजी के साथ उनकी शादी के बाद, वे a हंडौर ’नामक गाँव में रहते थे (यह ललता प्रसाद जी का गाँव है)। वहां आजी ने तीन बच्चों को जन्म दिया। जिनमें से दो का जन्म होने पर निधन हो गया। तीसरे बेटे का नाम श्री राम नरेश त्रिपाठी (महाराजजी का सबसे पुराना भाई) था। मानगढ़ की यह भूमि लाला प्रसाद जी को आजी के पिता ने उपहार में दी थी। मानगढ़ में बसने के बाद, आजी ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, जिनमें से एक का जन्म होने पर निधन हो गया। दूसरे पुत्र का नाम श्री उद्धव प्रसाद त्रिपाठी (श्री महाराजजी का दूसरा भाई) था। उसके बाद 1922 में श्री महाराजजी का जन्म हुआ। उन्हें राम कृपालु नाम दिया गया था। जैसा कि महाराजजी सबसे छोटे पुत्र थे, परिवार में हर कोई उन...

*वैज्ञानिकों के सिद्धांतों का खंडन कर सत सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*

दिव्य ग्रन्थ: #प्रेम_रस_सिद्धान्त अध्याय: १ ¨जीव का चरम लक्ष्य¨ पेज: २३-२४ अब उनका अंतिम उत्तर सुनिये । वे कहते हैं परिस्थितिवश हड्डी बन गयी । परिस्थिति का उत्तर तो घोर पागलपन का है । क्योंकि देखिये एक ही परिस्थिति में भाई-बहिन पैदा हुए किन्तु बहिन की दाढ़ी मूँछ नहीं होती । हाथी एवं हथिनी एक परिस्थिति मे हुए लेकिन हथिनी के बड़े दाँत नहीं होते । मोर एवं मयूरी एक ही परिस्थिति में हुए किन्तु मयूरी की लम्बी पूँछ नहीं होती । मुर्गा-मुर्गी एक ही परिस्थिति में हुए किन्तु मुर्गी के सिर पर कलगी नहीं होती । इतना ही नहीं, विकासवाद के अनुसार क्रमिक विकास में प्राणियों के दाँतों में कोई भी मेल जोल नहीं हैं । देखिये गाय भैंस के ऊपरी दाँत नहीं होते किन्तु घोड़े के नीचे ऊपर दोनों दाँत होते हैं । पुन: कुत्ते को देखिये, उसके दूध के दाँत नहीं गिरते और देखिये घोड़े के स्तन नहीं होते, बैल के स्तन अण्डकोष के पास होते हैं । बच्चा पैदा होते समय घोड़ी की जीभ बाहर गिर जाती है । पुन: देखिये क्रमिक विकास का खोखला तर्क । स्याही के दस स्तन होते हैं, उससे उन्नत होकर चुहिया बनी उसके आठ ही स्तन रह गये । पुन: उन्नत हो...

श्री महाराज जी -

संक्षेप में सुन लो , डिटेल नहीं करूंगा । दो प्रकार दोष होता है सबमें ,  एक होता है कपुयाचरण और दुसरा अध्यात्मिक तुष्टी । भक्ति में बाधक हैं ये सारे दोष - कपुयाचरण तीन प्रकार का...