जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज एवं/अथवा श्रीराधा-कृष्ण के समस्त सत्संगी, प्रेमी, श्रद्धालु साधकों/भक्तजनों को सप्रेम राधे राधे
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज एवं/अथवा श्रीराधा-कृष्ण के समस्त सत्संगी, प्रेमी, श्रद्धालु साधकों/भक्तजनों को सप्रेम राधे राधे कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास। गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास॥ भगवान् की भक्ति करके भगवद्प्राप्ति करने के लिए कलियुग को सर्वश्रेष्ठ युग बताया गया है! क्यों? क्योंकि एक तो कलियुग में अन्य कोई साधन करना सम्भव ही नहीं, इसलिए किसी भी साधन का अपेक्षित फल नहीं मिल पाता। दूसरे, कलियुग में भगवान् का नाम और उनके गुणों का कीर्तन मात्र करने से ही सर्वोच्च फल की प्राप्ति सम्भव है। अतएव, अन्य कोई साधन करने की आवश्यकता भी नहीं है। सौभाग्य से हम लोग भी कलियुग में मानव देह प्राप्त करके भारत जैसी पुण्य भूमि में जन्में हैं। हमें केवल राम का गुणगान करना है और इस चौरासी लाख प्रकार की भयानक अँधेरी कोठरियों वाले विचित्र पागलखाने से मुक्त होकर अपने उस नित्य घर में पहुँचना है, जहाँ अनन्त काल से सर्वतः आनन्द ही आनन्द है, ...