अकबर पूर्व जन्म में मुकुंद नामक ब्राह्मण था, उसके 20 शिष्य थे! जब मुकुंद ब्राह्मण था तो उस समय बाबर का राज्य था, खूब मूर्तियां तोड़ी जा रही थी, मुकुंद ने यह सब अपमान देखकर आत्मदाह कर लिया! मुकुंद के साथ उसके 20 शिष्यों ने भी उसका अनुसरण करते हुए आत्मदाह कर लिया! मुकुंद के द्वारा अनजाने में एक गलती हो गयी थी कि गाय के दूध के साथ उसके उदार में गाय का बाल भी चला गया इसी कारण वश वह अगले जनम में म्लेच्छ (मुस्लिम) बना और अकबर के नाम से प्रख्यात हुआ और 20 शिष्य उसके दरबारी हुए, तानसेन, बीरबल आदि और आस पास के अन्य राज्यों में उत्पन्न हुए!
सभी स्नेही मानसप्रेमी साधकजनों को हमारी स्नेहमयी राम राम | जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम श्रीरामचरितमानस– उत्तरकाण्ड दोहा संख्या 116से आगे ..... चौपाई : सुनहु...
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राधे राधे ।