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🌿।।श्री राधावल्लभो जयति।।🌿
🌿।। श्री हित हरिवंशचन्द्रो जयति।।🌿
🌷 श्री वृंदावन-सत लीला 🌷
क्रमशः से आगे....
🌿बसिकै वृंदाविपिन में, इतनौ बडौ सयान।
जुगल चरण के भजन बिन, निमिष न दीजै जान।।107।।
श्री वृंदावन में वास करके सबसे बड़ी चतुराई यही है कि श्री युगल के चरण कमलों के सुमिरन के बिना एक क्षण भी न जाने पाये।
🌿सहज विराजत एक रस, वृंदाविपिन निज धाम।
ललितादिक सखियन सहित, क्रीडत स्यामास्याम।।108।।
श्री राधावल्लभलाल का निज धाम श्री वृंदावन अनादि काल से सहज शोभा सहित नित्य विद्यमान है जहाँ अपनी ललितादिक सखियों सहित युगल सदैव कैलि परायण है।
🌿प्रेम सिंधु वृंदाविपिन, जाकौ अंत न आदि।
जहां किलोलत रहत नित, युगल किशोर अनादि।।109।।
श्री वृंदावन दिव्य प्रेम का अगाध अबाध सिंधु है जहाँ अनादिकाल से श्री राधावल्लभ युगल किशोर किलोलमान है।
क्रमशः...........
🌷 ।।जय जय श्री राधे।।🌷
।।जय जय श्री हित हरिवंश।।
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