श्रीभगवन्नाम-महिमा :-
#-अभ्यास बना लो, नाम लेने की आदत डालो ।
#-'नाम लेत भव सिंधु सुखाहीं' इसपर श्रद्धा करो । इस विश्वास को दृढ़ करो ।
#-कंजूस की भाँति नाम को सँभालो ।
#-निश्चय समझो नाम के बल से बिना ही परिश्रम भव-सागर से तर जाओगे और भगवान् के प्रेम को भी प्राप्त कर लोगे ।
#-निरन्तर भगवान् का नाम लो, कीर्तन करो । मेरे विचार से सर्वोत्तम साधन यही है ।
#-'हारे को हरिनाम'-इसी उपाय से सबका मंगल दीखता है और अन्य उपायों में राग-द्वेष उत्पन्न होकर फँस जाने का भय है ।
#-भगवानपर विश्वास हो, उनकी कृपा का भरोसा हो और नामजप होता रहे तो अपने-आप ही निर्भयता आयेगी, साहस आयेगा । विपत्ति का टलना भी इसी उपाय से होगा ।
#-मनुष्य जब सब उपायों से हार जाता है, तब उसे हरिनाम सूझता है । तभी वह हरिनाम को पकड़ता है और तभी उसे विजय मिलती है ।
#-बस, दो बात है-भगवान् की कृपापर विश्वास और भगवान् के नाम का आश्रय । फिर कोई चिन्ता नहीं । ध्यान नहीं लगता न सही, मन वश में नहीं होता न सही ।
#-भगवान् पापी और नीच के भी उद्धारक हैं, यह विश्वास करके केवल जीभ से भगवान् के नाम का उच्चारण करते रहे।
।। जय जय श्री राधे।।
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राधे राधे ।