मुरलिया! टैरिहै नाम राधा।
टेरिहै कंकंणी किंण किंण,भौहहौ टेरिहै नाम राधा।
लटकि लटकनि हौ टेरिहै,टेरिहै नुपुर छन् राधा।
चम चम भूषण टेरिहौ,अरू टैरिहौ झूमर राधा।
रोमकूप बसिहै प्यारी,कहै रोम रोम पिय राधा।
दीजिहौ कृपा नाम धन रंगीली,टैरूहु रोम रोम सौ राधा।
सखी हौ सहेली मान मनावती हारी हौ।
नेक न पसीजै हिय काहै गिरधारी कौ।
मान करू ऐसौ हिय पाऊ कही मिलै जौ।
रूठ रूठ तौकू रै बड्यौ ही छकावू हौ।
करिहै कछु या कछु किजिए जतन तुव।
नेक न निहारू नाहि तजु मान प्यारै सौ।
ढूंढी री भतैरी नाय मिलिहौ हिय ऐसौ।
रूप श्याम दैखिकै बिसारै नाहि सुधि हौ।
हाय ! री चबक जैहि रह रह उठि हिय।
कहा करू आन मिलै पियही प्यारी सौ।
नाहि आयौ नैन निंदिया,नैना उनींदौ सौ।
रैनहु जाहत पिय मग जौहवत,नाहि आबत दीखौ सौ।
भारहु पलकि झुकैहु नींद बोझि,नाहि पलकनि मिलि हौ।
आवै प्रिये सौबति दैखि,नाहि कदै लौटै जायी पुनि लौ।
सैजि लौटि लौटि बिखरू,फैरि फैरि दैखू कर सौ।
दैखहु चित्र प्रीत प्रीतमहु,सिराहनौ समुझी पिय हौ।
जरत अंगै अंगै बिन तौहरे,कैसौ कहवू लिपटानि अंग कौ।
नाय पुकारू पुकारू प्रीतम,रहवै जावत नाहि बनै हौ।
करिहौ तुव तुव ही किरपा,दासी थाकी मांदी कहवतौ।
माखन लौना लेत भगी पाछै,मौहना दौरि दौरि जावै।
नह्वतौ जलै ताता करि राखि,नाहवनौ बचनौ चाह्वै।
लालच दैहि लौना माखन,नाहि बात सुनत भगि जाहै।
कहत जशौदा लालहु सुनिहै,नह्वातौ जय जय कराहै।
भौरो मुखै कछु सौचि कहिहै,माई जय जय जु काय करावै।
लाल सुनिहै जय जय करै,मैरौ लाल बल बड्यौ पाहवै।
कहिहै भौरि मातु जा लाला,जौई मौहन जय जय सिखावै।
कुंजन हौहिहै आजु दीपौत्सव।
भाँति भाँति रंग नवरंग,दीप नवकृतिकै।
पग डंडी तीरै तीरै,सजिहै तमाल नीचै।
झरौखेहै दीपमाल सजिहै,सजिहै द्वार निकुंजै।
गौलिहि फुवारै चबूतरौ,दीपौ दीप धरिहै।
खिलिहै कुमुद मध्ये,दीप मछरी जैसौ जरितै।
भई दीवाली जैसौ अजहु,कुंज दुल्हिन बनियै।
बनि जाहू कौऊ दीप हौऊ,जुगल मौद नैन चखिहै।
दीन हौहि काहै नाहि रहतौ रै पगा मन।
काहै उडि उडि फिरिहै जगत कौ,काहै न ध्यावै जै जै चरणा जोरि।
काहै मतिहीन होत बौराय जग डोलतौ,काहै पिय प्यारी नाहि हिय बैठारि।
पाषाण सम हिय काहै कियै तैने राखैहै,काहै न जुगल करूणा देखि नैन बहरि।
यासौै झूठौ नेह करि जग सौ लगायौ काहै,काहै कौ तैने पिय प्यारी कौ भकायोरि।
जबहु तौ रोवैगौ जगत दुत्कारैगौ,अबहु नाहि जुगल प्रीत मौल जानैरि।
छाडि झूठै साँचे नेहा ओरन सौ,टहल टकोरि हित नैनहु बहायोरि।
कर जोरि कर बिनती प्रेम जौरि सौ,कुंजन टहल कौउ दासीहु कौ पायौरि।
लडैती लाड सखि प्रीत खिलौनै।
अनेकेहु मन भयै एकहु लौनै।
जोई जोई चाहवै सोई करै छौनै।
एकहु रंग रंगे पगे हिय सौनै।
खिझावै रिझावै करै रार सौहनै।
डूबौवै प्रीत करि नित नव टौनै।
सखिन मिलावै सेजि सजि दौनै।
पूछै रैन हसि हसि मधु बैनै।
कह सखि पिय कहा कहा छौनै।
ऐसैहु पिय प्यारी सखि हौनै।
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राधे राधे ।