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निश्छल विश्वास और श्रद्धा की कहानी बच्चो को जरूर सुनायें (((((((((((( गोपाल भैया ))))))))))))

निश्छल विश्वास और श्रद्धा की कहानी बच्चो को जरूर सुनायें
(((((((((((( गोपाल भैया ))))))))))))
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रधिया बर्तन-बासन मांज कर किसी तरह गुजर बसर करती थी.
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तीन साल पहले पति गुजर गया था . बेचारी दुखी और परेशान थी .
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पांच साल के उसका बेटा कन्हैया दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख , स्कूल जाने का जिद करने लगा .
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स्कूल दूर था . रास्ते में घना जंगल.
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वह अपने आंख के तारे को किसी अनहोनी का शिकार होते नहीं देखना चाहती थी .
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इसलिए उसने उसे स्कूल भेजने से मना कर दिया .
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कन्हैया खूब रोने -धोने लगा . उसे स्कूल जाना है तो जाना है .
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रधिया क्या करती . एक दो रोज खुद स्कूल पहुंचा और लिवा आई .
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सोचा , एक दो रोज में मन उजट जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ .
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स्कूल में सैंकड़ों बच्चों के बीच उसका मन लग गया और वह अब रोज स्कूल जाने की जिद करने लगा .
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संभव नहीं था कि रधिया रोज -रोज कन्हैया को घर से स्कूल छोड़ आती .
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उसने एक कहानी गढ़ी .
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उसने कन्हैया को अकेले स्कूल जाने के लिए कहा .
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कन्हैया ने कहा , मां रास्ते में जंगल है . डर लगेगा. तुम भी चलो ना .
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वह बोली , मैं नहीं जा सकती बेटा . तू अकेले चला जा .
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वैसे भी डरने की क्या बात है , जंगल में तुम्हारे गोपाल भैया रहते हैं ,
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जब भी डर लगेगा, गोपाल भैया को बुला लेना. वो तुम्हें जंगल पार करा देंगे .
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कन्हैया स्कूल जाने लगा . एक रोज थोड़ी देर हो गई.
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जंगल में पहुंच उसे डर लगने लगा .
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उसने पुकारा , गोपाल भैया, गोपाल भैया , मुझे बहुत डर लग रहा है , आइये न गोपाल भैया.
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कई बार बुलाने के बावजूद कोई नहीं आया.
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कन्हैया डर के मारे जोर -जोर से रोने लगा . डर के मारे उसके पैर नहीं उठ रहे थे , वह जार बेजार रोए रहा था .
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तभी एक मीठी आवाज आई , कन्हैया, क्या हुआ , तुम क्यों रो रहे हो .
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कन्हैया ने आखें खोली. सामने देखा .
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मोर -मुकुट धारण किए हुए , हाथ में बांसुरी थामे हुए , गायों के झुंड से एक युवक आया.
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उसने प्यार से कन्हैया को गोद में उठा लिया .
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कन्हैया बोला , भैया मुझे बहुत डर लग रहा था , आप कहां थे अभी तक ?
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गोपाल भैया बोले , कन्हैया, ये जंगल अपना ही है . मैं तुम्हारा भैया हूं , तो फिर डरने की क्या बात है .
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जब कभी डर लगे मुझे बुला लेना.
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गोपाल भैया की वाणी में कुछ ऐसी मिठास थी, जो बालरूप भगवान कन्हैया में थी.
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कन्हैया अब बगैर किसी डर के आने जाने लगा .
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जब कभी मां पूछती बेटा जंगल में डर तो नहीं लगता है ?
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कन्हैया कहता, मां डर कैसा , अपना गोपाल भैया जो वहां हैं .
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मां कन्हैया के भोलेपन पर मुस्कुराती हुई बोली, मां, बहुत अच्छे हैं गोपाल भैया. जैसा तुमने बताया .
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माथे पर मोर मुकुट , हाथ में मुरली, गायों को चराते हुए हमारे गोपाल भैया बहुत अच्छे हैं मां.
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मां बोली, अच्छा ?
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कन्हैया बोला , हां मां वे बहुत अच्छे हैं .
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रधिया अक्सर कन्हैया से इस तरह का सवाल करती और कन्हैया बड़े ही भोलेपन से जवाब देता .
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कुछ ही दिनों बाद स्कूल में सरस्वती पूजा आयी
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मास्टर साहब में छात्रों से चंदा जमा करने को कहा .
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सब लड़कों ने अपने शक्ति के अनुसार चावल , आटा, सब्जी , फल, दूध , पैसे आदि देने की पेशकश की .
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लेकिन कन्हैया से कुछ भी लाने को नहीं कहा गया तो वह उठ खड़ा हुआ ,
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बोला , मस्सय मैं क्या लाऊं.
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मास्टर साहब बोले , तुम क्या लाओगे .
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लेकिन जब कन्हैया ने बहुत जिद की , तो मास्टर साहब ने कहा , तुम्हारा जो मन होगा लेते आना
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कन्हैया घर जाकर अपनी मम्मी से ये बात कही कि स्कूल में सरस्वती पूजा है , इसलिए मास्टर साहब ने घर से चंदा लाने को कहा है .
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घर में क्या था जो राधा चंदा में देती इसलिए उसने कहा ....
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क्यों नहीं अपने गोपाल भैया से मांग लेते . कन्हैया चल पड़ा अपने गोपाल भैया के पास .
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वहां जाकर आवाज दी , गोपाल भैया, गोपाल भैया , स्कूल में पूजा है, मास्टर साहब ने दूध लाने के लिए कहा है .
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गोपाल भैया आए और एक लोटकी दूध कन्हैया को दे दिया .
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कन्हैया लोटकी हिलाता डुलाता स्कूल पहुंचा .
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स्कूल के छात्र और शिक्षक पूजा की व्यवस्था में जुटे थे .
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कन्हैया मास्टर साहब के पास जाकर पूछा , मस्सय , ये दूध रख लीजिए.
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मास्टर साहव ने एक लड़के से कहा , इस लोटकी का दूध डिब्बे में डाल दो .
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लड़के ने लोटकी से दूध डालना शुरू किया , डिब्बा भर गया लेकिन लोटकी में जितना दूध पहले था , अब भी उतना ही है . लड़का डर गया .
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उसने सारी बात मास्टर साहब को बतायी .
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मास्टर साहब भी इस सच्चाई को देखकर हैरान हो गए.
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कन्हैया से पूछा , तुमने ये दूध कहा से लाया ?
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कन्हैया बोला , गोपाल भैया ने दिया है .
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उन्होंने फिर पूछा , गोपाल भैया कहां रहते है और क्या करते हैं ?
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कन्हैया बोला वे रास्ते के जंगल में रहते हैं और गाय चराते हैं .
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मास्टर साहब की उत्सुकता बढ़ गई, उन्होंने पूछा, तुम्हारे गोपाल भैया दिखते कैसे हैं ?
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कन्हैया बोला , वे मोर -मुकुट पहनते है , मुरली बजाते हैं , मगर हैं बहुत सुंदर..!
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मास्टर साहब ने मन ही मन कहा कि बेटा सुंदर तो तुम भी कम नहीं हो ,
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फिर बोले , तुम अपने गोपाल भैया से हमें मिला ओगे ?
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कन्हैया बोला , क्यों नहीं , चलिए अभी मिलवाते हैं . दोनों जंगल गए.
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कन्हैया ने पुकारा , गोपाल भैया, गोपाल भैया , हमारे मस्सय आपसे मिलना चाहते हैं .
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गोपाल भैया ने कहा , कन्हैया मैं तुम्हारे मास्टर साहब के पास नहीं आ सकता .
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कन्हैया ने पूछा, क्यों . हमारे मास्टर साहब तो अच्छे हैं . किसी को मारते भी नहीं हैं . आप आइए , आपको भी नहीं मारेंगे .
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फिर आवाज आई , कन्हैया मैं नहीं आ सकता .
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कन्हैया बोला , आप नहीं आइएगा तो मैं रोने लगूंगा और उसने रोना शुरू कर दिया .
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कन्हैया के रोने की आवाज सुनकर गोपाल भैया आए और उसे चुप कराया.
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कन्हैया बोला , लीजिए मास्टर साहब , आ गए हमारे गोपाल भैया .
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लेकिन गोपाल भैया मास्टर साहब को नहीं दिख रहे थे .
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मास्टर साहब समझ गए. उन्होंने भी उसी बाल -सुलभ निश्छलता से भगवान की प्रार्थना की .
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भगवान ने मास्टर साहब को भी दर्शन दिया .
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बाद में उन्होंने रधिया को भी दर्शन दिया
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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