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माया और प्रकृति

माया और प्रकृति

माया और प्रकृति में अंतर जरूर है। माया से छूटने के लिए एक आदमी महल छोड़ कर वन में जाता है, लेकिन महल और वन दोनों ही प्राकृतिक हैं।

प्रकृति एक उच्च कोटि की, अच्छी वाली माया हो सकती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चार प्रकृतियाँ हैं- दुर्गा जो इस संसार की वास्तविक जननी और माता है, महालक्ष्मी और सरस्वती जो भगवान् विष्णु की पत्नियाँ हैं और श्री राधे जो माधुर्य की देवी हैं।
#वैष्णवी

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🌼 युगल सरकार की आरती 🌼

 आरती माधुरी                      पद संख्या २              युगल सरकार की  आरती  आरती प्रीतम , प्यारी की , कि बनवारी नथवारी की ।         दुहुँन सिर कनक - मुकुट झलकै ,                दुहुँन श्रुति कुंडल भल हलकै ,                        दुहुँन दृग प्रेम - सुधा छलकै , चसीले बैन , रसीले नैन , गँसीले सैन ,                        दुहुँन मैनन मनहारी की । दुहुँनि दृग - चितवनि पर वारी ,           दुहुँनि लट - लटकनि छवि न्यारी ,                  दुहुँनि भौं - मटकनि अति प्यारी , रसन मुखपान , हँसन मुसकान , दशन - दमकान ,                         ...

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