बिहारी जी दिन में 4-5 पोशाक पहनते है और नीचे उसके जामा धारण करते है..हम अगर एक भी कपडे पहनते है तो हमे भी पसीने आने लगते है और जब रात को पट बन्द होने के बाद जब बिहारी जी की पोशाक उतारी जाती है तो आज तक बिहारी जी जामा गीला हुआ मिलता है...
और रात में जब बिहारी जी तो विश्राम करवाया जाता है तो नियम है बिहारी जी की इत्र से मालिश होती है..तो जैसे एक मनुष्य के अंग दबते है वैसे ही आजतक बिहारी जी के अंग भी दबते हैं
और ऐसा हो भी क्यूँ ना..
वृंदावन में जो बाँकेबिहारी जी का श्री विग्रह है वो किसी मूर्तिकार ने नहीं बनाया..आज से लगभग 500 साल पहले स्वामी श्री हरिदास जी के भजन के प्रभाव से बाँकेबिहारी जी वृंदावन में निधिवन में प्रकट हुए..उन्हीं बिहारी जी को आज हम वृंदावन में देखते हैं..
जय बिहारी जी की..!!
जय श्री राधे..!!
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राधे राधे ।