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((((((( बावली राधा )))))))


((((((( बावली राधा )))))))

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एक दिन श्री राधा श्याम सुंदर के वियोग में बहुत रो रही थी , तभी कुञ्ज में सारी उड़ केआती है, श्री राधा सारी से पूछती हैं कि....
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अच्छा यह बता, तुझे श्याम सुंदर क्यूँ प्यार करते हैं ?
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सारी कहती है.... रानी ! एक दिन मैं उड़कर गयी, वहां जाते ही श्याम सुंदर ने मुझे हाथ पर उठा लिया.. 
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हाथ पर रखते ही उनकी आँखों से आंसूं झरने लगे.. 
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कंठ रुंध गया..
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फिर कुछ देर बाद धैर्य धारण करके बोले की सारिके ! तुम्हे देखते ही मेरे प्राण व्याकुल हो जाते हैं...
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तू मेरी प्राणेश्वरी राधा की सारी है..
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आ, मेरे ह्रदय में बैठ जा..
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सच, सारी ! देख, मैं तुम्हे जिस क्षण हाथ पर लेता हू, उसी क्षण मुझे चारों और मेरी प्यारी राधा-ही-राधा दिखने लग जाती है......
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सारी ! इसलिए तू मुझे प्राण के समान प्यारी लगती है...
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रानी के मुख पर गंभीरता छा जाती है...
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वे कुछ देर चुप रहकर कहती हैं ...
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सारी ! एक बात पूछती हूँ,तू ठीक ठीक बताएगी न ?
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राधा रानी....... अच्छा ! बता, कोई ऐसी औषधि तू जानती है कि जिसे खाने से मैं मर जाऊं ....
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सारी कुछ देर चुप रहकर सोचती है......
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सारी कहती है..... रानी ! मरकर क्या करोगी ?
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राधा रानी...... देख, मर कर सदा के लिए मसुंदर के चरणों में लिपट जाउंगी ...
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मेरी देह ही मुझे श्यामसुंदर से अलग रख रही है
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सारी....... पर रानी ! फिर श्यामसुंदर की दशा क्या होगी, यह भी तुमनेकभी सोचा है ?
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राधा रानी घबरा सी जाती है तथा अत्यधिक त्वरा से कहती हैं..... 
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ओह ! मैं तो सच मुच भूल गयी ...ना सारी ! मैं नहीं मरूंगी..आह ! मेरे मरते ही प्यारे श्यामसुंदर जीवित नहीं रहेंगे ...ओह !
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मैं तोह सर्वथा बावली हो गयी थी ..ठीक समय पर तुने मुझे सावधान कर दिया.. ना, अब मैं नहीं मरूंगी.........
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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