18 मार्च को प्रातः महाराज जी आरती में आये और सभी साधकों को श्री युगल चरणों में प्रणाम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन अचानक प्रातः आठ बजे ज्ञात हुआ कि महाराज जी को श्वास लेने में बहुत तकलीफ हो रही है। तुरन्त आॅक्सीजन आपको लगा दी गई। लेकिन आपका स्वास्थ्य अधिक बिगडने लगा तो हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ० खन्ना ने कहा कि महाराज जी को शीघ्र ही अपोलो अस्पताल दिल्ली चैकअप के लिए लाना पडेगा। उन्होंने एयर एम्बुलेंस इलाहाबाद भेज दी और गुरूदेव को एयर एम्बुलेंस से दिल्ली लाया गया जहां सारे चैकअप के बाद ज्ञात हुआ कि आपके लंग्स में पानी भर गया है। उससे आपके हृदय पर दबाव पडने के कारण श्वास लेने में कठिनाई होने लगी थी।
18 मार्च सायंकाल से 25 मार्च तक अपोलो अस्पताल, दिल्ली में रहे जहां आपके प्रतिदिन सारे टैस्ट होते रहे।
अस्पताल में भी सुबह 1 बजे जो हम लोगों के लिए रात्रि है, कमरे के बाहर बरामदे में जब वाॅक के लिए निकलते, सारे आस पास वाले मरीज बाहर खडे हो जाते इनके दर्शन के लिये और किसी मरीज के सेवादार उनसे प्रार्थना करते कृपया आप हमारे मरीज को भी दर्शन दे दीजिएगा। कुछ कमरों में चले जाते दर्शन के लिए।
26 मार्च को सायंकाल सात बजे आप अपोलो अस्पताल से छुट्टी पाकर गोलोक धाम दिल्ली पँहुचे। गोलोक धाम में पँहुचते ही आपने अपने सभी भक्तों को अपने पास प्रणाम के लिए बुला लिया।
27 मार्च को होली के पावन पर्व पर सभी भक्त साधकों ने चन्दन का टीका लगाकर प्रणाम किया। इधर भक्ति धाम मनगढ़ में साधना शिविर लगातार चलता रहा और सभी हजारों भक्त साधकों ने रूपध्यान पूर्वक रो रो कर साधना करते हुए अपने प्राण प्यारे गुरूदेव के शीघ्र ही स्वस्थ हो जाने की प्रार्थना भक्ति मन्दिर में युगल सरकार के श्री चरणों में की।
30 मार्च को श्री महाराज जी हैलीकॉप्टर से बरसाना पँहुचे, जिनका प्रत्येक क्षण जीव कल्याणार्थ ही समर्पित है। अस्वस्थ होते हुए भी अपने आपको रोक नहीं पाये और प्रवचन देना शुरू कर दिया।
रात्रि में भी आपने बरसाना वासियों के मध्य सुमधुर संकीर्तन के द्वारा ब्रजरस की वर्षा की। उन्हें ये अनुभव नहीं होने दिया कि आप इतने लंबे समय से अस्वस्थ थे।
31 मार्च को भी प्रातःकालीन आरती के बाद भी आपने 25 मिनट का सारगर्भित प्रवचन दिया। 31 मार्च को ही प्रातः दस बजे आप बरसाना से हवाई मार्ग द्वारा ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर आप दिव्य धाम मनगढ़ पँहुच गये। श्री महाराज जी को देखकर सभी मनगढ़ वासी एवं उपस्थित जनसमुदाय अत्यधिक आनंदित हुए।
जिनका प्रत्येक क्षण केवल जीव कल्याणार्थ ही होता है।
श्री गुरूदेव के चरणों में कोटि कोटि नमन।
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राधे राधे ।