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(जगद्गुरुत्तम्-महाप्रयाण दिवस)

राधे राधे..

'MAHAPRAYAN-DIVAS'
of Jagadguru Shri Kripalu Mahaprabhu..

आज जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु महाप्रभु जी का 'लीला संवरण' अथवा 'गोलोक महाप्रयाण दिवस' (जगद्गुरुत्तम्-महाप्रयाण दिवस) है. आज ही कि तिथि में 15 नवम्बर 2013 को उन्होंने नित्य निकुंज लीला में प्रवेश कर लिया था.

स्वयं श्रीराधाकृष्ण अथवा भक्ति महादेवी ने ही 'जगद्गुरुत्तम्' रूप में अवतार लेकर इस विश्व को आध्यात्मिक रूप से पुनः संगठित किया, भक्ति के विकृत स्वरूप को सुधारकर उसका समस्त विश्व में प्रसार किया. सर्वोत्तम रस ब्रजभक्ति (माधुर्य भाव/ गोपी भाव) का श्री कृपालु महाप्रभु ने उन्मुक्त भाव से दान किया और अनधिकारी जनों को भी उस रस का अधिकारी बनाया. आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों में उनके किये उपकार कभी भी भुलाए ना जा सकेंगे, और ना ही उन उपकारों का ऋण उतारा जा सकेगा..

एक बात और है कि महापुरुष भौतिक दृष्टि से तो ओझल हो सकते हैं किंतु अपने शरणागत को कभी भी वे त्यागते नहीं हैं. हे कृपालु महाप्रभु ! आज यद्यपि भौतिक दृष्टि से आप दिखाई नहीं देते, परंतु आपकी अनुभूति मेरे हृदय में क्षण क्षण रहती है, आपकी कृपा से ही हमारा अस्तित्व है, आप सदैव हमारे साथ हो...

जगद्गुरुत्तम् कृपालु महाप्रभु जी द्वारा दिया गया शास्त्रों का सारांश : (Ref. भगवतत्व पुस्तक, पृष्ठ 27)

1. ब्रम्ह, जीव, माया तीनों सनातन हैं.

2. ब्रम्ह की पराशक्ति जीव एवं अपराशक्ति जड़ माया है. दोनों का शासक ब्रम्ह है.

3. मायाशक्ति जीव पर सदा से अधिकार किये है, क्योंकि जीव भगवान् से विमुख है.

4. भगवान् की प्राप्ति से ही जीव को दिव्य आनन्द को प्राप्ति होगी एवं माया से छुटकारा मिलेगा.

5. भगवान् की प्राप्ति एवं माया निवृत्ति भगवान् की कृपा से ही होगी.

6. भगवान् की कृपा मन से अनन्य भाव से भक्ति करने पर ही मिलेगी.

7. भक्ति में निष्काम भाव, भगवत्सेवा तथा निरंतरता आवश्यक है.

8.रूपध्यान युक्त निष्काम आँसुओं से ही अंतःकरण शुद्ध होगा.

9. अंतःकरण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्ति मिलेगी. तब मायानिवृत्ति एवं भगवत्प्राप्ति होगी. तभी भगवत्सेवा रूपी चरम लक्ष्य प्राप्त होगा.

आज उनके 'महाप्रयाण दिवस' पर समस्त विश्व द्वारा उनके कोमल पादपद्मों में कोटिशः नमन...

# सुश्री गोपिकेश्वरी देवी जी
# श्री कृपालु भक्तिधारा प्रचार समिति

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