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योगी का आनंद कैसा होता है?

योगी का आनंद कैसा होता है ऐसा लगता है सारे शरीर मे झरने बहे रहे हो और आत्मा की चेतनता और दिव्यता रोम रोम मे झलकने लगती है मतलब जैसे आत्मा खिल गयी हो रोम रोम मे झरने बहे रहे हो आत्मा की चेतनता के कारण बार बार शरीर के अंदर रोम रोम मे विस्पोथ होता है और झरने बहेने लग जाते है रोम रोम मे  जैसे स्नान करने के बाद अच्छा लगता है वैसे झरनों के नित्य बहेने के कारण आंतरिक सफाई बार बार होती रहती है उस समय वो संसार का सबसे उच्चकोटि का सुख होता है मस्तिस्क मे आंतरिक गीलापन महसूस होता है तो बहुत सुख मिलता है उस समय कोई गाली भी देदे तो कुछ असर ही नही होता है और हंसी आती है सात्विक सुख होता है पर लिमिटेड होता है

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