ब्रह्मा का एक दिन मानें
चार युग होता है - सतयुग १७,२८,००० वर्ष, त्रेता १२,९६,००० वर्ष , द्वापर ८,६४,००० वर्ष एवं कलियुग ४,३२,००० वर्ष का होता है । तो चारों को मिला कर हुए ४३,२०,००० वर्ष जिसको चार युग कहा जाता है । ये ७१ बार बीतने पर एक मनवंतर होता है ।ऐसे चौदह मनवंतर बीतने पर ब्रह्मा का एक दिन यानी ४३,२०,००० से ७१ को गुणा करने से ३०६७२०००० वर्ष और इसमें १४ से गुणा करने से ४,२९,४०,८०,००० वर्ष । और इतने वर्षों की एक रात होती है । ब्रह्मा के एक दिन में १४ मन्वन्तर होतें हैं जैसे स्वयंभुव , उत्तम , तामस , रैवत, वैवस्वत, सावर्णि, दक्ष सावर्णि , ब्रह्म सावर्णि , धर्म सावर्णि , रुद्र सावर्णि , देव सावर्णि , इन्द्र सावर्णि इत्यादि । वर्तमान, जो मन्वन्तर चल रहा है , वह है सातवाँ मन्वन्तर , जिसका नाम है वैवस्वत ।
इस वैवस्वत मन्वन्तर में २७ बार चार युग बीत जाने पर जब २८ वें चतुर्युग में द्वापर के शेष में स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण गोलोक से सीधा अपने धाम , परिकरों सहित इस पृथ्वी पर अवतरित होते हैं , जो आज से ५१२८ वर्ष पूर्व घट चुका है ।
यह स्वयं श्रीकृष्ण ब्रह्मा के एक दिन में एक बार आते हैं ।अब जो अवतार होगा , वह स्वयं श्रीकृष्ण नही आएँगें । महाविष्णु का अंशावतार होगा । आखिर इस प्राकृत जगत में अवतार लेने का कारण क्या है आगे वताया जाएगा ।
:- श्री महाराज जी ।
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राधे राधे ।