मानसिक लीला सखियो के चित्र सखियों के चित्र राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... निकुञ्ज का एकान्त कक्ष। श्रीप्रियाजी मखमली सिंहासन पर अकेली बैठी हैं। उन्होंने धीरे से पुकारा- चित्रा! अपना नाम सुनते ही श्रीचित्रा उपस्थित हो गयी। नयनों की भाषा में चित्रा पूछ रही थी कि क्या आदेश है? श्रीचित्रा पर दृष्टि जमाये श्रीप्रियाजी ने कहा- क्या तुम मेरा एक काम कर दोगी? श्रीचित्रा ने विनम्र स्वर में कहा- मैंने कब किसी कार्य के लिये ना कहा है? श्रीप्रियाजी- यह तो मैं जानती हूँ, पर आज जो कहूँगी, उसके लिये तुम आनाकानी तो नहीं करोगी? श्रीचित्रा- तुम कहो तो सही। मैं न ना कहूँगी और न आनाकानी करूँगी। श्रीचित्रा का कथन आदेश पालन की भावना से भरपूर था।श्रीप्रियाजी- मैं जो कहूँगी, उसके बीच में कोई प्रश्न मत करना और न इसकी चर्चा कहीं अन्यत्र करना। मैं जो कहूँ, वैसा कर देना। श्रीप्रियाजी ने जो कहा, उनके शब्द-शब्द से अपार प्यार झर रहा था। श्रीचित्रा की चित्तवृत्ति अत्युत्सुक थी कि श्रीप्रियाजी आज क्या अनोखी बात कहने वाली हैं। सुनने के लिये अति तत्परा चित्तवाली श्रीचित्रा स...
* पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात! सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!! *धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!* दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!! *ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!* कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!! *प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!* बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!! *ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!* करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!! *भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!* चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!! *प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!* सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!! *प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!* तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!! *भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!* डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !! *घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!* एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!! *अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!* पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!! *रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!* सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!! *सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!* भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सु...