अनाधिकारी को भी अधिकारी मैं बना दूंगा , कोई बात तो माने मेरी......!
किसी को परवाह ही नहीं अपनी , तो मैं क्या कर लूँगा ?
क्षण क्षण अपना, साधना तथा सेवा में व्यतीत करो । आज का दिन फ़िर मिले ना मिले !!
दोबारा मानव देह फिर मिले ना मिले !! इस समय तो मानव देह भी मिला है और गुरु भी मिल गया है ।
फिर लापरवाही क्यों ?
इससे अच्छा अवसर फ़िर आसानी से नहीं मिलने वाला......।
बार - बार सोचो !!!
" तुम्हारा कृपालु "
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राधे राधे ।