सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा राधारानी के विषय में प्रकाश डाला जा रहा है।

राधारानी कौन हैं, थोडा समझ लीजिये। आप लोगों ने भगवान का नाम तो सुना ही होगा। राधा तत्त्व से अधिक लोग परिचित नहीं हैं। भगवान के नाम से अधिक परिचित हैं और भगवान भी बहुत प्रकार ...

कुँज-लीला

महावृन्दावन में जो सब क्रीड़ावन विद्यमान है , उनमें से प्रत्येक में नाना प्रकार के कुँज विराजित है । अन्तरंग भावुक भक्तगणों की तृप्ति के लिये श्री राधागोविन्द की कुंजलील...

श्रीप्रिया भावना

श्री किशोरी जु स्वयं प्रेम को परम रूप हैं , उनके प्रेम की दिव्यता अनिर्वचनीय है ... जगत तो प्रेमशून्य है और मोरी स्वामिनी प्रेम को विग्रह , कौन कहे वांकी । प्रेम तत्व वाणी से कहा ...

पंचकोश , पंचक्लेश , त्रिविध त्रिताप क्या है? १. पंचक्लेश किसे कहते है?

योगदर्शन के अनुसार अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश पाँच क्लेश हैं। (अविद्याऽस्मिता रागद्वेषभिनिवेशा: पंच क्लेशा:, योगदर्शन २.३)। अविद्या, अस्मिता , राग , द्वेष, अभि...

*श्री शिक्षाष्टकम्*

भगवान श्री गौरसुन्दर चैतन्य महाप्रभु ने अपने शिष्यों को श्रीकृष्ण-तत्त्व पर ग्रन्थों की रचना करने की आज्ञा दी, जिसका पालन उनके अनुयायी आज तक कर रहे हैं । वास्तव में श्री च...