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महराज जी को ऐ गज़ल पसंद था :-

ऐ श्याम ! मेरे दिल को     एक रोग  लगा देना |

हो दर्द तेरा जिसकी      फिर हो न  दवा  देना  |

इक दिन वो मिलेंगे ही    बोलेंगे ही    हँसेंगे ही |

इस   ख्वाबे-तमन्ना  से  हरगिज़ न जगा देना |

हम   तेरे   तसव्वुर में     वेहोश    हैं  पागल  हैं |

दिखला के झलक अपनी फिर होश में न ला देना |

मिलने की जो है     तुमसे लौ दिल  में लगी बेहद |

मिल कर  कहीं  न उसकी  बुनियाद  मिटा देना  |

ऐ-यादे- जुदाई    तू इन आँखो     के परदे  पर |

हर अश्रु को   दिलवर  की तसवीर   बना  देना |

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🌼 युगल सरकार की आरती 🌼

 आरती माधुरी                      पद संख्या २              युगल सरकार की  आरती  आरती प्रीतम , प्यारी की , कि बनवारी नथवारी की ।         दुहुँन सिर कनक - मुकुट झलकै ,                दुहुँन श्रुति कुंडल भल हलकै ,                        दुहुँन दृग प्रेम - सुधा छलकै , चसीले बैन , रसीले नैन , गँसीले सैन ,                        दुहुँन मैनन मनहारी की । दुहुँनि दृग - चितवनि पर वारी ,           दुहुँनि लट - लटकनि छवि न्यारी ,                  दुहुँनि भौं - मटकनि अति प्यारी , रसन मुखपान , हँसन मुसकान , दशन - दमकान ,                         ...

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