ऐ श्याम ! मेरे दिल को एक रोग लगा देना |
हो दर्द तेरा जिसकी फिर हो न दवा देना |
इक दिन वो मिलेंगे ही बोलेंगे ही हँसेंगे ही |
इस ख्वाबे-तमन्ना से हरगिज़ न जगा देना |
हम तेरे तसव्वुर में वेहोश हैं पागल हैं |
दिखला के झलक अपनी फिर होश में न ला देना |
मिलने की जो है तुमसे लौ दिल में लगी बेहद |
मिल कर कहीं न उसकी बुनियाद मिटा देना |
ऐ-यादे- जुदाई तू इन आँखो के परदे पर |
हर अश्रु को दिलवर की तसवीर बना देना |
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राधे राधे ।