दो ईद होती है एक ईदुलफितर और एक ईदुल जुहा. ईदुलफितर वो है जो रमजान के महीने में अंत में मनाई जाती है .और इदुल जुहा का कथानक ये है की एक पैगम्बर हुये थे हजरत इब्राहीम जैसे मोहम्मद साहब पैगम्बर थे ऐसे ही एक पैगम्बर हुये है हजरत इब्राहीम बहुत पहुचे हुये फकीर थे. पैगम्बर माने भगवान के भेजे हुये दूत.तो इब्राहीम की परीक्षा लेना चाहा खुदा ने, तो इनकी बीबी बच्चो के लिये उन्होंने आर्डर दिया सपने में, इब्राहीम को की अपनी बीबी को और अपने लड़के इजरायल इन दोनों को रेगिस्तान में छोड़ आओ जहाँ पानी भी न मिले ,ये परीक्षा लिया. तो इब्राहीम ने रेगिस्तान में छोड़ दिया उस छोटे से लड़के को और अपनी बीबी को. लेकिन भगवान शरणागत का योगक्षेम वहन करते है. अतः खुदा की प्रेरणा से किसी ने उनका लालन पालन किया. जब लड़का बड़ा हो गया तो फिर खुदा ने सपने में फरमान भेजा इब्राहीम को की अब तुम अपने लड़के की क़ुरबानी कर दो,अपने हाथ से गला काट के हमको चढावो. इब्राहीम ने पता लगवाया की कहाँ है लड़का. मिल गया उसको बुलवाया और उससे कहा देखो बेटा ! ऐसा खुदा का फरमान आया है तो तुम हमारी आज्ञा मानोगे ? लड़के ने कहा कि जब खुदा का फरमान है तो भला में क्यों नहीं मानूंगा. तो इब्राहीम ने अपनी आंख में पट्टी बांधा की अगर हम देखेंगे तो काटा नहीं जायेगा हमसे अपना इकलौता बेटा. आंख में पट्टी बांध करके गले को काट दिया. काटने के बाद जब पट्टी खोला तो देखा की एक बकरा कटा हुआ पड़ा है और लड़का उनका सही सलामत है. खुदा ने बचा लिया लड़के को,परीक्षा में पास हो गया इब्राहीम.
ये क़ुरबानी माने आत्मसमर्पण का ये त्यौहार है लेकिन बिगड़ते बिगड़ते बिगड़ते अब बकरा कटने लगा. बजाय त्याग के दुसरे की हिंसा होने लगी और बकरी इद्द नाम रख करके बकरा काटा करते है ये लोग. ये है इदुल जुहा.
ईद का वास्तविक अर्थ है :
ईदुज्जूहा है आज गोविंद राधे,
दिल को गुनाहों से तौबा करा दे.
ला इलाही लिल्लिल्लाह गोविंद राधे,
मोहम्ददर्रसूल अल्लाह दिल में बिठा दे.
—जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज
*अल्लाह ने दिया है रहवर "जगतगुरु श्री कृपालु जी महाराज" जहां से न्यारा या खुद ही बन गया अल्लाह इतना प्यारा ।।*
🙌🙇😢🙏💐🙌
Eid Mubarak to all of You.....................
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राधे राधे ।