एक पति पत्नी जब प्रथम बार महाराज जी के दर्शन करने गये, लगभग 40 साल पुरानी बात है, तो महाराज जी के मिलने से पहले अपने घर में बिराजे राधाकृष्ण के विग्रह को बर्तन माँजने वाली राख (लकडी का जला हुआ पदार्थ) से साफ किया करते थे।
तो जब महाराज जी के पास प्रथम दर्शन करने पँहुचे तो उन्होंने जैसे ही महाराज जी को प्रणाम करने पहुंचे, महाराज जी ने जाते ही उनके पति से कहा कि देख तेरी पत्नी ने मुझे बहुत मांजा है मैं छिल गया। मुझे बडा कष्ट होता था, उनके वहीं आँसू आने लगे तब समझ में आया कि क्या गलती करते थे हम।
उसके बाद तो पूरा परिवार ही तन मन धन से हमेशा के लिए महाराज के शरणागत हो गया।
एक बार इन्हीं के 5 साल के बेटे को कुछ चोर उठा के ले गये घर के सब लोग परेशान थे, बच्चे को लेकर तो जब एक दिन रात के बाद वो घर आया सब लोग परेशान तो थे ही। अगली सुबह पांच बजे के लगभग जब वो घर मे में घुसा तो उसने बताया, कि जो अपने यहाँ फोटो है इन्होंने बचाया इन्होंने लड़ाई लड़ी उन चोरों से और मुझे अपने साथ ले कर आये और दरवाजे की कुण्डी खटखटायी और मुझे छोड़कर चले गये। घर के सभी लोग आँसू बहा रहे थे।
थोडा सा परिचय इनके घर के एक सदस्य का दे रहें हैं। उससे यह पता चलता है कि पुराने समय में ही नहीं महाराज जी की कृपा से आज भी अनन्य भक्त हैं। उनकी सेवा का जो तरीका था वो ये कि वो महाराज जी के सोने के बाद उनकी केवल मानसी सेवा करते थे वो भी चरण दबाने की या कोई और उनको सुख पहुंचाने की। वैसे तो महाराज जी के भक्त कुछ बताने को तैयार ही नहीं होते लेकिन एक बार किसी की नासमझी पर गुस्से में डाटते हुये उनके मुंह से जो निकला वो हम सब के लिये बडा महत्वपूर्ण है साधना में।
उन्होंने कहा जब हम दुखी होंगे, आँसू बहायेंगें तो महाराज जी को नींद कहां आयेगी, वो हमारी पुकार सुनने के लिये सोयेंगे ही नहीं। इसलिए चिन्तन भी उनके सुख के अनुसार होना चाहिए।
अगर सोचा जाये तो महाराज जी इतनी ही बारीकी से भक्ति सभी को कराना चाहते हैं।
हमारे प्यारे श्री महाराज जी की कृपा पर बलिहार बलिहार। हमारी कृपालु सरकार की जय।
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राधे राधे ।