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अक्टूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पञ्च तत्व और देह

आप लोगों ने सुना होगा तीन शरीर होते हैं । स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर यह तीन बंधन है प्रत्येक जीव के साथ , जो तीन शरीर से परे चला गया वह आनंदमय हो गया, मुक्त हो गया । किन्ह...

*श्रीहरिनाम चिंतामणि* 7 *अध्याय 3*

*अनर्थ समाप्त होने पर नामाभास प्रेम प्रदान करता है* श्रीकृष्ण प्रेम को छोड़कर बाकी सब कुछ नामाभास से ही प्राप्त किया जा सकता है और यह नामाभास भी धीरे धीरे शुद्ध प्रेम में पर...

प्रेमाणु

प्रेम  वास्तव में स्वयं में ही होता है   । पर तत्व में संभव ही नहीं । पर की प्रतीती भ्रम उपस्थित करती है । हौं भ्रम मान लाख भागने को चाहूँ पर स्व से कैसे भागूँ । कोई जाने या ना ज...

प्यारे के नयन

कब तक है यह मन जब तक इसे स्थिर रस ना मिले । यह वास्तविक सौंदर्य से ना टकरा जावें , दृष्टि बन भागता यह मन बहुत भागे तो टकरा जाता .. हर लिया जाता प्यारे के नयनों से ... आह ! प्यारे के प्या...

-----------------*सोहनी महिमा*-----------------

                 ।।दोहा।। रे मन नवल निकुंज की, सुमिर सोहनी प्रात। लपटी प्यारी चरण रज, लसत सहचरी हाथ ।।१।। अहो सोहनी सोहनी, यह मति मौको देहु। अति अधीनता दीनता, पद रज सों नित ने...

श्रीराधारानी जु श्रृंगार

श्री राधिका जू का श्रृंगार करें हम , प्यारी जू का श्रृंगार बनें हम ॥कितना सुंदर भाव है ॥ पर वस्तुतः श्री किशोरी का श्रृंगार है क्या , क्या भाव है क्या सेवा है क्या समर्पण है क्...