40 मिनट में बोरियत
बहुत समय पूर्व से विज्ञान ने यह सिद्ध किया हुआ है कि हमारा दिमाग एक विषय के चिंतन में, अध्ययन में 40 मिनट में बोर हो जाता है
यही कारण है हम ध्यान से यदि देखें कक्षाओं में जो हम पढ़ते हैं उसमें 40 मिनट का एक पीरियड होता है
यदि हमारा दिमाग बोर नहीं होता तो एक पूरे दिन हिंदी पढ़ाई जाती दूसरे पूरे दिन इंग्लिश पढ़ाई जाती तीसरे पूरे दिन अन्य अन्य विषय ।
लेकिन एक ही दिन में 40। 40 मिनट के पीरियड रखकर हिंदी इंग्लिश गणित संस्कृत पढ़ाई जाती है
उसका कारण यही है कि हिंदी पढ़ते पढ़ते 40 मिनट में हमारा दिमाग बोर हो जाता है इसलिए हिंदी को विश्राम देकर हम अंग्रेजी पढ़ते हैं फिर 40 मिनट में अंग्रेजी से बोर हो जाते हैं संस्कृत पढ़ते हैं ।
इसी प्रकार जब हम भजन के नियम लेते हैं उसमें भी हम बहुत बड़े-बड़े यदि नियम लेंगे तो हमारा मन एक तो वैसे ही चंचल है और अधिक चंचलता करेगा और जब वह एक विषय से बोर हो जाएगा तो दूसरे विषयों की तरफ भागेगा ।
इसलिए दासाभास जैसे प्राथमिक साधकों को चाहिए कि छोटे-छोटे नियम लें भजन करने बैठे तो प्रारंभ में 15 मिनट का नियम लें । 30 मिनट का नियम लें और धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं ।
हम देखेंगे कि हमारी कंसंट्रेशन पावर बढ़ रही है यदि पहले दिन ही हम 2 घंटे का कोई नियम ले लेंगे तो सफल होना मुश्किल है यद्यपि अभ्यास से यह समय 2 घंटे क्या 12 घंटे भी हो सकता है
लेकिन मुझ जैसे प्राथमिक साधकों को थोड़े थोड़े समय का चाहे वह जप हो, चाहे मौन हो चाहे ग्रंथ का पाठ हो चाहे किसी प्रकार का अनुष्ठान हो छोटा-छोटा से शुरू करें और हर महीने 2 महीने में उसको बढ़ाते जाएंगे तो मन भी अभ्यास से चंचलता का त्याग कर देता है और
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
जय श्री राधे जय निताई
समस्त वैष्णव जन को दासाभास का प्रणाम
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राधे राधे ।