आप लोगों ने सुना होगा तीन शरीर होते हैं ।
स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर यह तीन बंधन है प्रत्येक जीव के साथ , जो तीन शरीर से परे चला गया वह आनंदमय हो गया, मुक्त हो गया ।
किन्ही शब्दों में कह दीजिए । तो स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर , कारण शरीर ।थोड़ा समझ लीजिए इसको।
स्थूल शरीर तो आप जानते ही हैं, यह जो आपका है पंचमहाभूत का शरीर जिसमें हाथ पैर नाक कान आंख बने हैं। यह पांच ,छ: फुट का शरीर जो आपका हाड़ मांस का है इसे कहते हैं स्थूल शरीर ।
एक सूक्ष्म शरीर होता है, सूक्ष्म शरीर हीं सबसे बलवान है और सूक्ष्म शरीर 18 तत्वों से बना है। उसमें 18 चीजें !!
सूक्ष्म शरीर और 18 चीजें !!
और स्थूल शरीर में पांच चीजें हैं । वाह ! क्या कमाल है ।
स्थूल शरीर में पृथ्वी जल तेज वायु आकाश कुल 5 और सूक्ष्म शरीर में 18 तत्व हैं । पांच प्राण, 5 ज्ञानेंद्रिय , 5 कर्मेंद्रिय , मन बुद्धि अहंकार ये 18 । पंचप्राण आप जानते होंगे - प्राण, अपान, उदान ,समान ,व्यान और पंच ज्ञानेंद्रिय भी आप जानते हैं आंख कान नासिका आदि ।
और पंच कर्मेंद्रिय भी आप जानते हैं - हाथ-पैर वगैरह और एक मन एक बुद्धि , एक अहंकार तीन यह ।
तो पांच + पांच = दस+ पांच = पंद्रह और तीन ये अठारह तत्त्वों का बना है सूक्ष्म शरीर ।
और आपको मालूम होना चाहिए कि यह सुक्ष्म शरीर मरने के बाद भी साथ जाएगा। यह पीछा नहीं छोड़ेगा । आप चाहे कुत्ते बिल्ली गधे की योनियों में जाएं । स्वर्ग में इंद्र बनकर जाएं आप जहां जहां जाएंगे यह 18 तत्वों से बना सुक्ष्म शरीर आपकी आत्मा के साथ सम्बद्ध होगा। और यह तब तक सम्बद्ध रहेगा, जब तक इस सूक्ष्म शरीर से आप परे न चले जाएं ।
अर्थात या तो ज्ञानमार्ग के द्वारा इनको भस्म कर दीजिए, या तो भक्तियोग के द्वारा इनको दिव्य कर दीजिए । वरना यह ऐसी बीमारी है जो मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती ।
आप लोगों का जब मन परेशान होता है संसार में कभी तो आप कहते हैं मर जाए, छुट्टी मिले । यह छुट्टी वुट्टी नहीं मिलेगी क्योंकि आप तो परेशान हैं सूक्ष्म शरीर से और वह तो आपके साथ ही जाएगा । छुट्टी कहां मिलेगी ।
स्थूल शरीर नें बेचारे ने क्या बिगाड़ा है ।परेशानी तो आपको भीतर से हो रही है । मन से हो रही है ।
सुख-दुख की फीलिंग मन को होती है । तो मन जो दुखी है आपका उसी के कारण आप कहते हैं मर जाए तो अच्छा है।
शरीर छोड़ दे तो अच्छा है , तो शरीर छोड़ दो इससे क्या फर्क पड़ना है । दूसरा शरीर मिलेगा । फिर वहां वही बीमारी होगी। क्योंकि वही मन है, वही ज्ञानेंद्रियां है , वही बुद्धि है , सब चीजें वही रहेगी । यह हुआ सुक्ष्म शरीर ।
एक होता है इससे आगे कारण शरीर ।
कारण शरीर को समझना बड़ा कठिन है। वैसे आप लोग मोटे तौर पर समझ लीजिए, वासनात्मक शरीर।
जिसमें वासना मात्र हो । सब ख्वाहिशों का केंद्र है वो ।
ये तीन शरीर हमारे लिए परेशानी के कारण बने हुए हैं। ये तीनों से परे जो हो जाए बस वह निर्ग्रंथ हो जाए, माने ग्रन्थि रहित , आनंदमय हो जाए।
:- श्री महाराज जी , प्राणधन जीवन कुंज बिहारी , पेंज 59
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राधे राधे ।