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*"शरीर और आत्मा में वार्तालाप"*

*:-सुबह के 4 बजे:-*

*"आत्मा" - चलो उठो साधना का समय हो गया है !*
*उठो ना !*
*उठो ना !*
*उठो ना !*

*"शरीर" - सोने दो न ! क्यों तंग कर रही हो ?*
*पता नहीं क्या रात को बहुत देर से सोया था.........थोड़ी देर के बाद साधना करूँगा ।*

आत्मा बोली ठीक है और मन में सोचने लगी मुझे भूख लगी है और ये है क़ि समझता ही नहीं है

*सुबह के 6:- बजे, आत्मा - अब तो उठ जाओ! सूरज भी आपनी किरणे फैलाते हुए हमें उठा रहा है । उठो नplzzzzz.*
*उठो ना !*
*उठो ना !*
*उठो ना plzzzz !*

*"शरीर" - कितना परेशान करती हो ! ठीक है उठ रहा हूँ बस 5 मिनट और सोने दो !*

*आत्मा छटपटाती हुई शरीर के इंतजार में कि ये कब उठेगा और कब मेरी भूख को शांत करेगा*

थोड़ी देर बाद साधना में बैठने के लिए शरीर ने वक्त निकाला ।

20-25 मिनट साधना में बैठा और आत्मा कुछ तृप्त ही हुई थी की शरीर उठ गया.......

*"आत्मा" - अरे रे रे रे क्या हुआ क्यों उठ गए अभी तो मैं तृप्त हुई भी नहीं हूँ कि तुम उठ रहे हो !!!!!*
*क्या हुआ? कहाँ जा रहे हो ?*

"शरीर" - अरे मुझे (ऑफिस or घर का ) काम करना है तुम्हारी तो कुछ समझ में ही नहीं आता !!!!

*"आत्मा" - ठीक है शाम को तो साधना करोगे न ?*

"शरीर" - (परेशान होते हुए) हाँ भई हाँ ।
*सारा दिन निकल गया, आत्मा भूख से तड़पती रही ......*

शाम हो गई आत्मा खुश हुई चलो अब तो मेरी भूख का निवारण हो ही जायेगा ...

शरीर ऑफिस और घर के काम से कुछ फ्री हुआ ही था की आत्मा आवाज देती है ।

*"आत्मा" - अरे फ्री हो गए ! अब तो चल ही सकते हो साधना के लिए चलो न ।*

"शरीर" - क्यों सारा दिन तंग करती रहती हो ?
देखती नहीं हो मैं अभी ऑफिस और घर के कामों से फ्री हुआ हूँ, थक गया हूँ ।

*"आत्मा" - अरे तुम थके हुए हो तो साधना में जैसे ही बैठोगे तो तुम्हारी थकान चुटकी में दूर हो जाएगी ...*

शरीर - नहीं अभी नहीं रात को पक्का बैठूँगा ।

*शरीर की स्थिति - आँखें नींद में भरी हुई, थकान से बुरा हाल जैसे-तैसे आत्मा की ख़ुशी के लिए साधना में बैठे ....*

*आत्मा की कुछ भूख शांत हुई ही थी कि यहाँ शरीर की आँखे नींद से भर गई ..*

शरीर उठा और सोने के लिए जाने लगा ..

*"आत्मा" - अरे अरे क्या हुआ क्यों उठ गए अभी बैठे ही थे की उठ भी गए ।*

"शरीर" - मैं थक गया हूँ यार !!
कल सुबह को पक्का 4 बजे उठ के साधना करुगा .....

*"आत्मा" - तुम फिर से बहाना बना रहे हो तुम नहीं उठोगे मुझे पता है ।*

आत्मा दुखी होकर चुप हो गई तभी शरीर ने मोबाइल पर msg देखा।

*"शरीर"- अरे ये तो मेरे best frnd का msg है चलो थोड़ी देर चैटिंग करके सोता हूँ ...*

आत्मा (मन ही मन)- साधना के वक्त तो इसे नींद आ रही थी और अब देखो friends से बात करने के वक्त नींद ही गायब हो गई ।
*जिसकी वजह से इसका अस्तित्व है उसी की ही परवाह नहीं है इसे..."खैर चलो कल देखते है।*

परंतु फिर वही दिनचर्या.....
सुबह के 4 बजे से रात के वक्त तक और आत्मा भूखी की भूखी रह जाती है ।

शरीर की खुराक तो भोजन से पूरी हो जाती है, पर आत्मा की?
दरअसल--
*आत्मा की खुराक तो साधना से भजन से ही पूरी हो पायेगी ।*
*समय तो निकालना ही पड़ेगा न!!* 🌹

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