१.जीव माया :- जो हमारे ऊपर हावी हैं |
२.गुण माया :- पृथ्वी,जल,तेज,संसार,मन,शरीर सब गुणमयी माया से बनी हैं |
जीव माया भी २ प्रकारका होता हैं :-
१.आवरात्मिका माया :- ये माया के प्रभाव से जीव अपना स्वरुप भूलता हैं | अपने आपको आत्मा नहीं शरीर मानता हैं |
२.विक्षेपात्मिका माया :-ये माया संसार मे attachement कराता हैं |
मैं कौन मेरा कौन?
दिव्य धारावाहिक प्रवचन-०१२
#निखिलदर्शनसमन्वयाचार्य_जगद्गुरुत्तम_श्री_कृपालु_जी_महाराज |
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राधे राधे ।