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प्रश्न:- श्री राधारानी की कृपा प्राप्त करने के लिये क्या साधना करनी होगी ?

श्री महाराजजी द्वारा उत्तर :- अरे ! ये ही तो साधना है कि वो बिना कारण के कृपा करती हैं ये फेथ(faith) करो । यही साधना है। जो कीर्तन करते हो तुम यही तो साधना करते हो न। उस कीर्तन का मतलब क्या ? रोकर उनको पुकारो कि तुम कृपा करो। यही साधना है। इसी से अन्तःकरण शुद्ध होता है। मन को शुद्ध करने के लिये साधना होती है। फिर उसके बाद वो कृपा से प्रेम देती हैं। उनका लाभ तो कृपा से मिलता है। तुम्हारा काम तो मन को शुद्ध करना है। और मन शुद्ध करने के लिये उनको पुकारना है।बस यही साधना है। और साधना कोई मूल्य थोड़े ही है कृपा का।
साधना तुम करते हो गन्दे मन से और कृपा से तो दिव्य वस्तु मिलेगी। तो तुम्हारा रोना कोई दाम थोड़े ही है। तुम जाओ किसी दुकानदार के आगे रोओ कि हमको कार दे दो पैसा नहीं है हमारे पास। तो वो कहेगा भाग जाओ , पागल है तू । तो उसी प्रकार अगर हम रोवें भी भगवान् के आगे , वो कहें भाग जाओ पहले दाम दो हम जो दे रहे हैं तुमको सामान उसका। तो हमारे पास दाम है ही नहीं क्या देंगे ? वो दिव्य प्रेम है भगवान् का। हमारी इन्द्रियाँ , हमारा मन , हमारी बुद्धि , हमारा शरीर सब गन्दा। हम क्या दे करके वो दिव्य प्रेम लेंगे ? इसलिये साधना मूल्य नहीं है। साधना तो केवल बर्तन बनाना है। मन का बर्तन शुद्ध कर लो तो उसमें दिव्य सामान कृपा से मिलेगा ।

#जगद्गुरुत्तम_श्री_कृपालु_जी_महाराज।

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