((((( सबसे छोटी बहु किशोरी जी )))))
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बाबा विट्टल दास जी कृष्ण जी को अपना बेटा और राधा रानी को अपनी बहु मानते थे ।
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बाबा श्री कृष्ण भगवान को पुत्र भाव से मानते थे और हमेशा उन्हें मेरा लाला और किशोरी जी को मेरी लाडली कहकर पुकारते थे।
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एक दिन बाबा विट्टलदास जी अपने घर के बाहर बैठे किशोरी जी का ध्यान कर रहे थे।
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तभी एक चूड़ी बेचने वाली आती है बाबा उसे बुलाते है और कहते है,”कि जा अन्दर जाकर मेरी बहूओं को चूड़ी पहना कर आ और जो पैसे हो वो मुझसे आकर ले लेना।”
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तब चूड़ी बेचने वाली अंदर चली गयी और थोड़ी देर बाद बाहर आई और बोली,”बाबा 8 रुपये हुए ?”
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बाबा ने पूछा,”8 रुपये कैसे हुए ?”
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चूड़ी बेचने वाली ने कहा,”बाबा तुम्हारी 8 बहुएं थी और हर एक को मैंने 1 रुपये की चूड़ी पहनाई।”
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लेकिन बाबा बोले,”मेरे तो 7 बेटे हैं और उनकी 7 बहुएं है फिर ये 8 बहुएं कैसे ?”
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चूड़ी बेचने वाली ने कहा,”बाबा मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी ?”
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अब बाबा का ज्यादा बहस करने का मन नहीं था उन्हें लगा की अब इससे बहस करूंगा तो ठाकुर के ध्यान में विघ्न पड़ेगा
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इसलिए उन्होंने उस मनिहारिन को 8 रुपये ही देकर विदा कर दिया और अपने युगल सरकार का ध्यान करने लगे
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लेकिन उन्हें मन ही मन इस बात का दु:ख था की चूड़ी बेचने वाली ने झूठ बोलकर उनसे ज्यादा पैसे ले लिए थे क्योंकि पूरे गांव में बाबा जी से कोई भी झूठ न बोलता था।
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वो इसी बात की चिंता में थे कि मुझसे उस चूड़ी बेचने वाली ने झूठ क्यों कहा ?
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रात्रि में बाबा को सोते हुए स्वप्न में किशोरी जी आती है और कहती है, ”बाबा ! ओ बाबा !”
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बाबा मंत्रमुग्ध हो कर किशोरी जी को प्रणाम करते है।
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तब किशोरी जी कहती है कि, ” बाबा तू ठाकुर जी को अपना पुत्र मानते हो ?”
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बाबा बोले,”ठाकुर जी तो मेरे बेटे है मेरा लाला है वो तो।”
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तब किशोरी जी कहती है,”यदि ठाकुर जी तुम्हारे बेटे है तो मैं भी तो तुम्हारी बहु हुई न ? “
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बाबा बोले,”हां हां बिलकुल बिलकुल मेरी लाली।”
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फिर किशोरी जी कहती है,”फिर तुम दुखी क्यों होते हो जब चूड़ी बेचने वाली ने मुझे भी चूडियां पहना दी तो ?”
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तभी बाबा फूट-फूट कर रोने लग जाते है और कहते है कि,”हाय कितना अभागा हूं मैं मेरी किशोरी जी ने खुद मेरे घर आकर चूडियां पहनी और मैं पहचान भी न पाया ?”
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तभी किशोरी जी अंतर्धान हो जाती है और बाबा कि नींद खुल जाती है
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और फिर अगले दिन वो चूड़ी बेचने वाली उनके घर पर फिर से आती है और बाबा कहते है कि,”आगे से 8 जोड़ी चूडियां लेकर आना और मेरी सबसे छोटी बहु के लिए नीले रंग कि चूडियां लाना।”
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धन्य है ऐसे भक्त जो किशोरी जी से, ठाकुर जी से अपना सम्बन्ध स्थापित करते है और उसे पूरी तरह से निभाते है।
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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राधे राधे ।