'हरि' शब्द का अर्थ है-
हरति योगिनां चेतांसि इति हरिः।
जो निर्गुण , निर्विशेष , निराकार ब्रह्मानन्द को प्राप्त किये हुये जीवन्मुक्त अमलात्मा परमहंसों के मन को भी हठात् खींच ले उसका नाम 'हरि' ।
और 'राम' शब्द का अर्थ है -
रमन्ते योगिनोअस्मिन् इति रामः।
जिसमें बड़े-बड़े योगीन्द्र, मुनीन्द्र , निर्ग्रन्थ ब्रह्मानन्दी भी बरबस रमण करें , उसका नाम 'राम' ।
तीसरा 'कृष्ण' शब्द है -
कर्षति परमहंसानां चेतांसि इति कृष्णः।
जो परमहंसो को भी सहसा आकृष्ट करके दास बना ले उसका नाम 'श्रीकृष्ण' ।
~~~~जगद्गूरूत्तम श्री कृपालुजी महाराज।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
राधे राधे ।