(((((((( अकबर पर कृपा ))))))))
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जब अकबर को हरिदास जी ख्याति के बारे में पता चला तो वो उनके पास जाकर बोले - कि मै राजा हूँ, ब्रज के लिए कुछ करना चाहता हूँ.
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आप कोई सेवा बताइए ?
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हरिदास जी को लगा - कि इसे अभी कुछ अहंकार है अपने पद का, पैसो का,
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तब हरिदास जी ने समझ गए और सोचने लगे कि इन्हें ऐसा काम देना चाहिये जिससे इन्हें व्रज की महिमा का पता भी चल जाए और इनका अहंकार भी टूट जाए.
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तो हरिदास जी बोले - यमुना जी के किनारे तट पर सीढियों में से एक सीढी का कुछ भाग टूट गया है आप उसको बनवा दीजिए,
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अकबर ने जो ये बात सुनी तो जोर से हंसॅने लगे कि आप मुझे इतना छोटा सा काम करने को दे रहे हो,
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सीढी का एक छोटा सा हिस्सा बनवाना है.
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तो हरिदास जी ने कुछ नहीं कहा और यमुना जी के किनारे ले गए और राधा जी की कृपा से कुछ समय के लिए दिव्य दृष्टि अकबर को दे दी ...
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अकबर ने देखा - कि यमुना जी के तट की एक-एक सीढी में.करोड-करोड दिव्य पद्मराग मणियाँ जडी है और यमुना जी की हर सीढी जगमगा रही है.
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ऐसी एक भी मणि अकबर के खजाने में नहीं है.
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और अकबर समझ कि मेरे अहंकार को तोडने के लिए स्वामी ने ऐसा किया है और हरिदास जी के चरणों में गिर पडे.
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और कहा - कि यमुना जी की सीढी का जो हिस्सा टूट गया है उसे मै नहीं बनवा सकता उसमे जो पत्थर लगे है उसको बनवाने के लिए मै पूरा खजाना लगा दूँ तो भी मै नहीं बनवा पाउगाँ,
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मेरे पास ऐसी एक भी मणि नहीं है.
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
सभी स्नेही मानसप्रेमी साधकजनों को हमारी स्नेहमयी राम राम | जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम श्रीरामचरितमानस– उत्तरकाण्ड दोहा संख्या 116से आगे ..... चौपाई : सुनहु...
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राधे राधे ।