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सितंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नेपाल प्रवचन सारांश : अंतिम दिन - 21 सितंबर (2) (9 से 21 सितंबर, शुभ-लाभ पार्टी पैलेस, ललितपुर, नेपाल) प्रवचन विषय : 'वास्तविक संतों की पहिचान' (भाग- 2)

राधे राधे.. नेपाल प्रवचन सारांश : अंतिम दिन - 21 सितंबर (2) (9 से 21 सितंबर, शुभ-लाभ पार्टी पैलेस, ललितपुर, नेपाल) प्रवचन विषय : 'वास्तविक संतों की पहिचान' (भाग- 2) जगद्गुरुत्तम् स्वामी श्री कृपालु जी महाराज की कृपाप्राप्त प्रचारिका पूज्यनिया सुश्री गोपिकेश्वरी देवी जी ने आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला में अपने अंतिम दार्शनिक उदबोधन में वास्तविक संतों की पहिचान के कुछ लक्षण बताये. अंतिम दिन की व्याख्या का यह दूसरा भाग है. प्रथम भाग में हमने जाना था कि वास्तविक संतों में कौन-कौन सी बातें नहीं होती हैं. अब हम उन लक्षणों को जानेंगे जो वास्तविक संतों में होते हैं. हमें इन लक्षणों को गहराई से समझना है. आइये अब उन्हें ही जानें. कल जो एक बात कही गई थी कि हमको अपने अहंकार से संत कभी नहीं मिल सकते हैं. यह तो भगवान् ही कृपा करके संत से मिलन करवाते हैं. यथा मानस ने कहा है - 'अब मोहिं भा भरोस हनुमन्ता, बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं सन्ता' इसलिए संत की तलाश हमें करनी तो है किन्तु साथ ही भगवान् से कृपा की याचना भी करना है. अगर अहंकार को लेकर ढूँढने चले तो जीवन भर कभी उन...

प्रेम गली अति सांकरी जामे दो न समाय

प्रेम गली अति सांकरी जामे दो न समाय देवर्षि नारद के मन में भगवान श्रीकृष्ण की सन्निधि में रहने की बड़ी लालसा थी। इसलिए वे श्रीकृष्ण के सुरक्षित द्वारका में जहां दक्ष आदि के शाप का कोई भय नहीं था, बिदा कर देने पर भी पुन: आकर प्राय: रहा करते थे।नारदजी को द्वारका में अच्छा लगता था। दक्ष का शाप था उन्हें, एक जगह स्थित नहीं रह सकेंगे। लेकिन द्वारका में वे रुकते थे। भगवान का सान्निध्य संतों को आनन्द ही देता है। जीवन में जब भी मौका लगे भगवान का सान्निध्य कर लेना चाहिए। एक दिन की बात  है नारदमुनि वसुदेवजी के यहां पधारे। यहां वसुदेवजी और नारदजी का एक महत्वपूर्ण वार्तालाप होता है। वसुदेवजी ने नारदजी से कहा-संसार में माता-पिता का आगमन पुत्रों के लिए और भगवान की ओर अग्रसर होने वाले साधु-संतों का पदार्पण प्रपन्च में उलझे हुए दीन-दुखियों के लिए बड़ा ही सुखकर और बड़ा ही मंगलमय होता है। संत हमारे घर आते रहें यह हमारी गृहस्थी के लिए शुभ होगा। वसुदेव बोले पहले जन्म में मैंने मुक्ति देने वाले भगवान की आराधना तो की थी, परन्तु इसलिए नहीं कि मुझे मुक्ति मिले। मेरी आराधना का उद्देश्य था कि वे...

श्री कृष्ण और कुब्जा सुंदरी की कथा

श्री कृष्ण और कुब्जा सुंदरी की कथा 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 श्री कृष्ण ने कहा.... "हे सुंदरी ! तुम कौन हो ?"                    श्री कृष्ण ने कुब्जा को सुंदरी कह कर सम्बोधित किया। कुब...

*यमुना नदी काली क्यों है?*

🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸 *यमुना नदी काली क्यों है?* यमुना या कालिंदी नदी को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को श्रीकृष्ण की परम भक्त माना जाता है। गंगा को ज्ञान की प्रतीक मान...

नेपाल प्रवचन सारांश : नौवाँ दिन - 17 सितंबर (9 से 21 सितंबर, शुभ-लाभ पार्टी पैलेस, ललितपुर, नेपाल)

राधे राधे.. नेपाल प्रवचन सारांश : नौवाँ दिन - 17 सितंबर (9 से 21 सितंबर, शुभ-लाभ पार्टी पैलेस, ललितपुर, नेपाल) प्रवचन विषय : 'भक्तिमार्ग की अनिवार्य शर्तें' जगद्गुरुत्तम् स्वामी श्री कृपालु जी महाराज की कृपाप्राप्त प्रचारिका पूज्यनिया सुश्री गोपिकेश्वरी देवी जी ने दार्शनिक उदबोधन की श्रृंखला में नौवें दिन भक्तिमार्ग के निरुपण को और गहराई दी. उन्होंने प्रमुख रुप में भक्तिमार्ग की शर्तों का निरुपण किया. भक्तिमार्ग में यद्यपि सभी अधिकारी हैं किन्तु इस मार्ग की कुछ शर्ते हैं, जिनको पूरा किये बिना इस राह पर गन्तव्य तक नहीं पहुँचा जा सकता है. श्रीपाद रुप गोस्वामी जी द्वारा विरचित 'भक्तिरसामृतसिन्धु' नामक ग्रन्थ के द्वारा आइये जानें कि सुश्री देवी जी ने क्या व्याख्या की है. भक्ति की परिभाषा कल आपको समझाई गई थी कि यह भगवान् की सबसे पर्सनल पॉवर है. इस भक्ति के अंडर में भगवान् सदा रहते हैं. भक्तिमार्ग ही जीव को अनंतकाल के लिए आत्यंतिक दुःख निवृत्ति और अनन्तानन्त परमानंद की प्राप्ति कराती है. जो चतुर जीव होते हैं वे भगवान् से एकमात्र भक्ति के सिवा कुछ नहीं चाहते. क...

श्यामसुन्दर द्वारा राधेजू कौ केश-विन्यास

राधे राधे ,,,निकुंज का अन्तरंग भाग ,,,मखमली पीठिका पर श्री राधे जू शुभासीन हैं और प्रियतम श्यामसुन्दर तैल लगा रहे हैं श्री राधारानी के शीश में ....सेवा के उत्साह में प्रियतम श्या...

श्री जू का दर्पण निहारना

श्री जू का दर्पण निहारना ~~~~~~~~~~~~~ श्री जू कान्हा की प्रतीक्षा में बैठी हैं । सखियों ने उनका श्रृंगार किया है एक सखी उनको दर्पण दिखाती है। जब भी श्री जू दर्पण में अपना मुख देखती है...

(गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित) पोस्ट संख्या - ३८

II सीताराम II गोस्वामी तुलसीदासजी विरचित " जानकी मंगल " (गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित) पोस्ट संख्या - ३८ तीनिलोक अवलोकहिं नहिं उपमा कोउ । दसरथ जनक समान जनक दसरथ दोउ ।।१२९...

@*** ()()()()() !!!! कुसुमसरोवर !!!! ()()()()()***@

@*** ()()()()() !!!! कुसुमसरोवर  !!!! ()()()()()***@                          ***************** . एक दिन श्री किशोरी जी सखियों के साथ कुसुम वन में फूल चयन कर रही थीं।  . श्री श्यामसुंदर ने माली के रूप में दूर से खड़े होकर आवाज़ लगाई,'' कौन तुम फुलवा बीनन हारी ?'' . साथ की सखियां भयभीत होकर इधर-उधर भाग खड़ी हुईं।  . श्री किशोरी जी का नीलाम्बर एक झाड़ी में उलझ गया, भाग न सकीं। इस हड़बड़ाहट में एक-दो फूल भी उनके हाथ से गिर गए।  . इतने में माली का रूप छोड़ कर सामने श्री श्याम सुंदर आकर उपस्थित हुए। . उन्होंने नीलाम्बर को झाड़ी से छुड़ा दिया। . श्री राधा के द्वारा पृथ्वी पर गिरे फूल श्री श्यामसुंदर ने उठा लिए। . श्री किशोरी जी ने कहा, ''प्रियतम ! पृथ्वी पर गिरे फूल पूजा के योग्य तो रहे नहीं अब क्या करोगे इनका ?'' . श्री श्यामसुंदर ने उन फूलों को सरोवर के जल से धो लिया और बोले प्राणवल्लभे ! अब ये फूल शुद्ध हो गए हैं। इतना कह कर श्री श्यामसुंदर ने वे कुसुम श्री किशोरी ...

निश्छल विश्वास और श्रद्धा की कहानी बच्चो को जरूर सुनायें (((((((((((( गोपाल भैया ))))))))))))

निश्छल विश्वास और श्रद्धा की कहानी बच्चो को जरूर सुनायें (((((((((((( गोपाल भैया )))))))))))) . रधिया बर्तन-बासन मांज कर किसी तरह गुजर बसर करती थी. . तीन साल पहले पति गुजर गया था . बेचारी दुखी और पर...