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श्री श्री राधाकुंड जी महिमा

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🙏🏼🌺श्री श्री राधाकुंड जी महिमा🌺🙏🏼

🏟श्रील रूप गोस्वामीपाद अपने उपदेशामृत ग्रन्थ में श्री राधाकुंड महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं-

    🌀"श्री वैकुण्ठ धाम से मथुरापुरी श्रेष्ठ है।मथुरा से श्री वृन्दावन श्रेष्ठ है,क्योंकि उसमें रासमहोत्सव होता है।उसमें फिर गिरिराज श्री गोवर्धन श्रेष्ठ हैं, क्योंकि निरंतर7 दिनों तक श्री गोवर्धन श्रीकृष्ण के हस्तकमल पर विराजमान रहे,अथवा श्रीश्री राधाकृष्ण का नित्य केलि-विलास श्री गोवर्धन में सम्पन्न होता है।उसमें भी यह श्री राधाकुंड श्रेष्ठ है,क्योंकि यह गोकुलपति श्री नन्द नंदन को प्रेमामृत में प्लावित करता रहता है।अतः ऐसा कौन विवेकी व्यक्ति होगा,जो गिरिराज श्री गोवर्धन तट में विराजमान श्री राधाकुंड का सेवन न करेगा?"🌀

🌹श्री श्री राधाकुंड का आविर्भाव
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👬श्रीश्री कृष्ण-बलराम सखाओं समेत श्री गोवर्धन की तरहटी में खेल रहे थे।तभी कंस का भेजा हुआ अरिष्टासुर बछड़े का रूप धारण कर बछड़ो में आ मिला।श्री कृष्ण ताड़ गए और उसका वध कर दिया।वह स्थान "आरिट गाँव" नामसे प्रसिद्द है।
        जैसे ही यह बात श्री राधारानी और सखियो को पता चली तो उन्होंने आपस में परामर्श किया कि श्री कृष्ण ने गो हत्या कर डाली।अब प्रजा को भी राजा के पाप का भागिदार बनना पड़ेगा।श्री कृष्ण जब उनसे मिलने आए तो वो बोली "दूर हटो!जाकर पहले सभी तीर्थों का स्नान कर पाप नाश कर आओ"।

🔅यह सुनकर श्री कृष्ण ने अपना पाँव जोरसे ज़मीन पर मारा जिससे पातल से भोगवती जी का जल बाहर आ गया🌊।तब उन्होंने सब तीर्थो को भोगवती के जल में आवाहन किया।सब तीर्थ उस जल में उपस्थित हो गए।यह श्यामकुण्ड के नामसे विख्यात हुआ🏟।

🔸श्री कृष्ण ने उसमे स्नान कर सभी सखियों को भी स्नान करने कहा,क्योकि उन्होंने ब्रज का अनिष्ट करने आए असुर का पक्ष लेकर श्री कृष्ण पर आरोप लगाया था।
      श्री कृष्ण के ऐसा कहने पर श्री राधाजी बोली की हम आपके गौ हत्या पाप लिप्त कुंड में स्नान नही करेंगी।हम अपना पृथक कुंड बनाएंगी।यह कहकर उन्होंने अपने कंकण से कंकण कुंड💫 बना दिया जो श्री राधाकुंड के तल में विद्यमान है।श्री राधाजी सखियो से बोली जाओ मानसी गंगा से जल लाकर इस कुंड को भरदो।
     🙏🏼तब श्री कृष्ण का संकेत पाकर सभी तीर्थ हाथ जोड़ वृषभानु नंदिनी की स्तुति करने लगे की अपने कुंड में प्रवेश की आज्ञा दीजिये,हमारा तीर्थ नाम सार्थक कीजिये।तब श्री जी ने श्री कृष्ण की ओर नेत्र कटाक्ष करते हुए आज्ञा देदी।सभी तीर्थ श्री श्यामकुण्ड से बीचकी पृथ्वी का भाग तोड़ते हुए श्री राधारानी के कुंड में आ मिले,जिससे श्री राधाकुंड जी का निर्माण हो गया।
   🔷श्री कृष्ण ने श्री राधाकुंड पर नित्य जल केलि का संकल्प लिया।श्री राधा सहित समस्त सखियो ने श्री श्यामकुण्ड में नित्य स्नान का संकल्प लिया तथा इन कुंडों के तट पर वास,स्नान करनेवालों को अपना प्रिय मानने का वचन भरा।
    🌌 इन कुंडों की आविर्भाव तिथि थी कार्तिक मास कृष्णअष्टमी अर्ध रात्रि।आज भी उस तिथि को अर्धरात्रि में असंख्य भक्तजन कुंडों के दर्शन-स्नान-पूजन से युगल प्रेम प्राप्त करते हैं।

🏟🏟कुण्डद्वय का आविष्कार
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समय के साथ ये कुंड लुप्त प्राय हो गए थे।श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपने वृन्दावन यात्रा के समय इन कुंडों की पहचान की,महिमा बताई।कालांतर में श्री रघुनाथ  दास गोस्वामी पाद जी ने श्री राधाकुंड को अपनी भजन स्थली बनाई और महाप्रभु की प्रेरणा से ,और किसी धनि वणिक की सेवा से इन कुंडों का सुंदर निर्माण करवाया।

⛲श्री राधाकुंड जी के चारो ओर सखियो के कुञ्ज है,जिनमे श्री प्रियाप्रियतम की मधुरात्मक लीलाएं होती है।परंतु वो समस्त दिव्य दृष्टि एवं भाव से ग्राह्य है।

🏯प्राकृत दृष्टि से कुंड के आस पास कुछ मंदिर और समाधी स्थल दर्शनीय हैं।जिनमें कुछ प्रमुख हैं-
1)झूलन तला
2)मंदिर श्री श्री राधा कृष्णजी
3)श्री राधाकांत जी मंदिर
4)श्री श्री राधा दामोदर जी मंदिर
5)श्री जाह्नवा ठकुरानी बैठक
6)श्री निवासाचार्य प्रभु भजन स्थान
7)महाप्रभु मंदिर
8)श्री राधा गोविन्द जी मंदिर
9)जिह्वा मंदिर

श्री राधे राधे
🙏🏻😊

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