राधे राधे,,श्री प्रियाजी के महावर से युक्त सुकोमल दोनों चरणारविन्द अद्भुत ,निर्मल और अनुपम हैं,,श्री प्रियाजी के चरण-कमल श्री श्यामसुन्दर के हृदय-रुपी कमल-कलिका को विकसित करने वाले सूर्य हैं,,सुंदर कोमल,मनोहर,और आनन्द के पारावार श्री श्यामा जू के ये चरणारविन्द निकुन्ज-वीथी के सुंदर श्रृंगार हैं..समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले होने के कारण अनन्य रसिक-सखी-सहचरी के लिए तो श्री प्यारी जू के चरण-कमल स्वयं कल्प-वृक्ष हैं,,कामधेनु हैं,,चिंतामणी हैं,,सब कुछ हैं...
''जावक जुत जुग चरन लली के |
अद्भुत अमल अनूप दिवाकर,मोहन मानस कंज कली के ||
मंजुल मृदुल मनोहर सुखिनिधि,सुभग सिंगार निकुंज गली के |
सुरतरु कामधेनु चिंतामनि,भगवतरसिक अनन्य अली के ||..जय श्री राधे ..
सभी स्नेही मानसप्रेमी साधकजनों को हमारी स्नेहमयी राम राम | जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम श्रीरामचरितमानस– उत्तरकाण्ड दोहा संख्या 116से आगे ..... चौपाई : सुनहु...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
राधे राधे ।