प्रियाजू! मैं सदा तिहारी चेरी।
चरन-चाकरी करों चावसों-यही जीविका मेरी॥
जानों और न काज-साज कछु, लाजहुँ सकल निबेरी।
परी रहूँ पौरी पै प्यारी! सेवा करों सबेरी॥1॥
तुम पौढ़ौ मैं पावँ पलोटूँ, पद-रज ही निधि मेरी।
जावक [1] रचि-रचि हिये सिहाऊँ, निरखहुँ नित छवि तेरी॥2॥
पाऊँ सीथ-प्रसादी अनु दिन ललकि-ललकि नित तेरी।
जनम-जनम पाऊँ सुहाग यह, यही लालसा मेरी॥3॥
शब्दार्थ:
[1] ↑ महावर
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राधे राधे ।