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(((((((( नटखट ठाकुर ))))))))

Radhe radheबधाई हो ।। बधाई हो ।।
आप सभी भक्तो को श्री किशोरी जू के जन्म महोत्सव की हार्दिक बधाई ।।
(((((((( नटखट ठाकुर ))))))))
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एक बार एक भक्त वृन्दावन के प्रति बहुत श्रद्धा रखता है।
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जब उनके बेटे की शादी होती है और शादी के बाद वो अपने बेटे को कहते की बेटा सबसे पहले "वृन्दावन" जाकर दर्शन करना,.
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फिर भले कहि चले जाना घूमने पर पहले "वृन्दावन"
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बेटा और बहु भी आज्ञाकारी थे बोले पिता जी ठीक है । आ गए वृन्दावन कलकत्ता से,
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उन्होंने राधा वल्लभ मन्दिर के पास ही रूम लिया और स्नान करके 9 बजे सुबह रूम से निकले और रिक्शा करा और रिक्शा वाले को कहा की -
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पहले यमुना जी फिर गोपीनाथ,. फिर राधा रमन निधिवन सेवा कुञ्ज,. राधा दामोदर,. श्याम सुंदर,.
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इस प्रकार सभी दर्शन कराना और फिर बाँके बिहारी जी के दर्शन करा कर यही राधा वल्लभ मन्दिर पे छोड़ देना
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क्यों की यही पास में रुम लिया है तो राधा बल्लभ जी के सबसे आखिरी में 12 बजे तक दर्शन हो जायेंगे और रूम पर चले जायेंगे दर्शन के बाद।
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सब दर्शन करके पहुच गए राधा वल्लभ जी के पास, पर पट लगे थे।
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गोसाई जी से पूछा की दर्शन होयेंगे तो गोसाई जी ने कहा - हां अभी राज भोग आरती होगी 5 मिनट तक के दर्शन हो जायेंगे
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आरती के बाद भी अब पट खुले और आरती होने लगी।
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सभी सन्त खड़े है दर्शन कर रहे है ज्यादा भीड़ नही मंदिर में।
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भक्तजन सन्तजन और साथ में ही वो नया विवाहित जोड़ा,.. अब पति पत्नी भी दर्शन कर रहे है ।
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दर्शन करते करते पत्नी रोने लगी ओर बोली चलो यहा से पति बोला क्या हुआ,.?
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पत्नी रो रोकर बोलने लगी चलो यहा से।
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पति ने कहा अच्छा नही लगता सब सन्त और भक्तजन देख रहे है
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सब सन्त और भक्तजन देख कर सोचने लगे इतने सभ्य और सुन्दर लग रहे है दोनों पता नहीं ये बीच दर्शन में कैसा रोना धोना विक्षेप कर रहे है।
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पत्नी बोली- चलो चलो चलो,..अभी चलो यहाँ से
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पति बोला - बताओ तो सही हुआ क्या ,..? चलो दर्शन तो करलो फिर चलते है।
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पत्नी और जोर से रोई और कहा ये ठाकुर जी बहुत बदमाश है मुझे बार बार आँख मारते है
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जब भी इनकी तरफ देखती हु मुझे ले चलो यहा से,..।
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अब यहा खड़े सभी सन्तों ने सुना और भक्तो ने सबके चहरे पे मुस्कान के बाद आँखों में आंसू आ गए और पति भी सुनकर चौक गया ,..।
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सब सन्त रुदन करते हुए बोले- "लाली तोये न पतो ये ठाकुर कितनो भोलो हतो,.
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तू तो कर्मो वाली है लाली जो तोकू राधा वल्लभ आँख मार हैे,..
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भक्त इन्हें चाहे ये और भाँति भाँति कु रिझावे तब न रीझे
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और लाली कोए इनको चाहे आम बात है पर ये छलिया कोउ कोउ को चाह हैे
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इस छलिया कु तू पसन्द आये गयी लाली, ये तेरे पे मर गयो।
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"इस करके जब भी वृन्दावन आवे तो ओरण के दर्शन करियो या नाय करो पर राधा वल्लभ जू ते मिलवे कु जरूर आइयो।
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या नटखट ठाकुर ने तोकू चुन लियो अपने ताई। करोड़न में ते एक है तू भोली
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बोलो श्री राधा वल्लभ रंग रसिया छैल छबीले लाल की जय
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श्री हरिवंश प्यारो लाडलो ठाकुर की जय
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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