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ललिता सखी

ओह श्री ललिता सखी, मैं एक बात अछी तरह जानती हूँ के आप ही श्री युगल के अत्यंत निकटतम और शिंगार रस में अत्यंत प्रवीण हो, आप श्री रूप मंजरी की ही नहीं आप ब्रज की सब सखी मंजरी सबकी गुरु हो

आप ही सब सखीमंजरियों को युगल सेवा की
परिपाटी बताती हो, जब यह ब्रजराज अपने गर्वयुक्त वचन श्री राधारानी के सामने कहता है तब आप अपने चतुर पूर्ण वाक्यों द्वारा ब्रजराज का गर्व चूर्ण कर देती हो और श्री राधारानी की गुणावली प्रस्तुत करती हो आपका यह श्री राधारानी के प्रति प्रगाढ़ प्रेम श्री युगल को अत्यंत प्रसन्न करता है

आप ही श्री नवदीप लीला में श्री स्वरूप दामोदर हो जो श्री राधा भाव भावित श्री गौरांग के अंतरंग भावो को जानती हो और गम्भीरा में श्री ग़ौर को अपने भावो से नित प्रसन्न करती हो

कुछ दिन श्री राधारानी से अवस्था में बड़ी होने और प्रगाढ़ प्रेम होने  के कारण श्री राधारानी पर आपका वात्सल्य भी निरंतर बना रहता है

श्री युगल को ताम्बूल सेवा करने वारी और अपने अति उज्जवल देह से ब्रजवासीओ को मोहित करने वाली श्री ललिता जी आप कब
अपने निकुंज में इस "नयी मंजरी " के और दृष्टि कर युगल सेवा में सौंप दोगी

प्रार्थना आपके जन्मदिन पर

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