🙏� दानलीला 🙏�प्रकथन
👏 *दानलीला मानलीला और रसलीला*-यह सब लीला करनेका *श्रीपुष्टि पुरुशोत्तम* का एक ही तात्पर्य है कि ईस लीला द्वारा,जीवोकी अपनेमें आसक्ति करानी। *भजते तादशीः क्रीडा याः श्रुत्वा तत्परो भवते !*(भा.२०-३३-३७),आप ऐसी लीला करते हो,कि जिसको सुनने से जीव भगवदासक्त वने। श्री महाप्रभुजी ईसको
*निरोध* कहते है। लीलाओकी भावना करके
*तनुवित्तजा* सेवा करें,तो चित्त सहज रीते भगवान में
*निरुध्ध* हो जाय।
🌺 सहस्त्रावधि ग्रंथो के प्रणेता,महानुंभाव *श्रीहरिरायजी*- *रसिक*
छापसे असंख्य पद की व्रजभाषा में रचनाएँ की है ।
*दानलीला* आपश्रीकी बहुत प्रसिध्ध कृति है।
🌷 श्री गुसाईजी कृत *शृंगाररसमंडन* में- *दानलीला* नामक-संस्कृत काव्यग्रंथ पर से,श्री हरिरायजी ए *बडी दान लीला*ग्रंथ की रचना की है।🍀 राजनगरके श्री व्रजराज महाराजश्री ए भी,श्री हरिरायजी कृत दानलीला उपर संस्कृत में टीका लिखि है। आपश्री ए " दान " का लक्षण बताया की" दानं नाम विक्रेयः पदार्थे षु नितिमार्गे ण ग्राह्यो राजभागः"। गुजराती में दाण,वेरो के जकात से पहचाने जाते है।
🌻व्रजमें श्रीनंदरायजी का राज है ईसलिये श्रीनंदराजकुमार माल पर दान मांग सकते है।
🌺विद्वान नि. ली.पूज्यपाद गो. *श्रीदिक्षितजी महाराज*श्री अपने वचनामृत में आग्ना करते है कीः-
जलयात्रासे "सुधर नेह भर आई " पदोक्त भक्तिगान से *निरोधबीज*स्थापित होता है।
🌸 रथयात्रासे,वो बीज अंकुरित होता है और जन्माष्टमी से" वृध्धि " होता है। *दानलीला* से " पुष्पित'" होता है। *होरी-धमार* में फलित होता है।
🌼भक्त और भगवन्निरोध की साधना... *ये ही दानलीला*🌸श्री महाप्रभुजी भी आग्ना करते हे की *कृष्णाधीना तु मर्यादाः स्वाधीना पुष्टिरूच्चते* दानलीला-पुष्टिलीला है और व्रजभक्तन के आधीन है।
🌺 *रसो वै सः*-यह उपनिशद् वाक्यमें निरुपण किया अनुसार,रसात्मक आलंबन विभाव श्रीराधाजी है और उद्दीपन विभाव " श्री चंन्द्रावलीजी है। जिसको अवलंबि जो रसोत्पत्ति हो,वो *आलंबन*विभाव और जे रसका उद्दीपन-उत्तेजित करें,उनको उद्दीपन विभाव कहते है। वन,उपवन,पशु-पंखी चंद्रप्रकाश ,आदि ऊद्दीपन है।
🌼श्री राधिकाजी ठाकोरजी के वाम बाजु और श्रीचंद्रावलीजी,श्रीठाकोरजी के दक्षिण बाजु,बिराजते है।
🌻श्री चंद्रावलीजी,युगलस्वरुप के प्रेमकी मूर्ति और लीलामें,विषेश रसपोषकताके,अर्थात, *परकियात्व सुखका*कारण है।
🎄 *दानलीला* का प्रारभ ,भाद्रपद ,शुकलपक्ष ११ से होता है और *अमास* पर्यंत चले है।
🌺 दूध ,श्रीस्वामीनीजी का *अधरामृत* है और दहीं,श्रीचंद्रावलीजी का अधरामृत है। *ईसलिये दान
एकादशी के दिन,राजभोग-दानमें-दहीं घराते है*
🍀 *दानलीला में श्रीचंद्रावलीजी की मुख्यता* है
💐श्रीहरिरायजी-कृत *दानलीला* में ग्वालिनी के वचन *मोहन जान दे* यह सम पर *नागरी दान दे*यह सम पर अटकते है
🌿 *गोरस* शब्द में श्र्लेष है। गोरस - दूघ -दहीं तो सही है,लेकिन *गो-ईन्द्रीयां उनका रस* श्रीठाकोरजी मांगते है।
🌸 यह लीला साव *निर्दोषलीला* समजनेकी है। क्यांकि यह लीला करने वाले में *दह-देही* विभाग -देह अलग और आत्मा अलग,ऐसा नह़ी लेकिन सब आत्मा है ।
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राधे राधे ।